Delhi HC: दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिए हैं कि अपनी गर्भावस्था की चिकित्सा समाप्ति करवाने वाली एक नाबालिग लड़की और उसके परिवार की पहचान को उजागर न किया जाए। इसे लेकर एक सर्कुलर जारी करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि पंजीकृत चिकित्सकों (आरएमपी) और पुलिस द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में पीड़िता के नाम को उजागर नहीं किया जाए। इस दौरान अदालत ने मामले की सुनवाई 10 मार्च तय की है।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने ये ध्यान में रखते हुए निर्देश पारित किया कि नाबालिग व और उसके परिवारों को गैर-पंजीकृत और अयोग्य चिकित्सकों, दाइयों और अदालतों से गर्भपात कराने के लिए मजबूर किया जा सकता है। अदालत ने कहा, वर्तमान स्थिति के अनुसार चिकित्सक नाबालिग और उसके परिवार की पहचान को उजागर किए बिना और पुलिस रिपोर्ट दर्ज किए बिना गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए आम तौर पर अनिच्छुक हैं। यही वजह है कि सर्कुलर जारी करना पड़ा। एक महिला द्वारा दायर याचिका पर अदालत सुनवाई कर रही है। इस याचिका में स्थानीय पुलिस को मामले की सूचना दिए बिना उसकी 14 साल की लड़की के गर्भ को चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने की मांग की गई थी।
याचिकाकर्ता ने कहा कि ऐसा न करने से समाज में उनकी बेइज्जती और उत्पीड़न होगा। एक नाबालिग लड़के के साथ आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाने की वजह से किशोरी गर्भवती हुई थी। अदालत के एक पूर्व निर्देश पर किशोरी का गर्भ समाप्त कर दिया गया। उन्होनें याचिका में कहा कि उनकी बेटी बच्चे को पालने के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार नहीं है और इसे जारी रखने से उसे भारी नुकसान हो सकता है।
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