Delhi High Court:
दिल्ली हाई कोर्ट ने अपहरण और हत्या के प्रयास की आरोपी एक गर्भवती महिला को तीन महीने की अंतरिम जमानत दी है। कोर्ट का कहना है कि प्रत्येक गर्भवती महिला मातृत्व के दौरान संविधान द्वारा प्रदत्त गरिमा की हकदार है। कोर्ट ने जमानत के लिए 20 हजार के जमानती बांड और इतनी राशि का एक मुचलका देने की शर्त रखी।
मामले में कार्यवाही कर रहे न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने कहा कि हिरासत में बच्चे को जन्म देना न केवल मां के लिए पीड़ादायक होगा, बल्कि इससे बच्चे पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। खासकर जब भी उसके जन्म के बारे में सवाल किया जाएगा।
अदालत ने 18 अगस्त को दिए अपने आदेश में कहा, “अदालत से अपेक्षा की जाती है कि जब तक याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा करने में कोई गंभीर खतरा न हो, तब तक जन्म लेने वाले बच्चे के हितों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।” अदालत ने कहा कि जेल के नियमों में यह भी कहा गया है कि जहां तक संभव हो, अस्थायी रिहाई की व्यवस्था की जाएगी ताकि किसी महिला कैदी का जेल के बाहर अस्पताल में प्रसव कराया जा सके।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता को प्रसव के लिए दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में रेफर किए जाने की बात भी कही। अदालत ने आदेश में कहा, “चूंकि याचिकाकर्ता गर्भवती महिला है और उसका प्रसव होना है. ऐसे में वह तीन माह के लिए अंतरिम जमानत पर रिहा किए जाने की हकदार है।”
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