India News(इंडिया न्यूज़), Delhi: दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य बीमा योजना ‘आयुष्मान भारत’ में आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा को शामिल करने का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज कर दी। याचिकाकर्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से कोई वकील मौजूद नहीं होने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने यह आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि मामले का संज्ञान लेने के बाद भी याचिकाकर्ता की ओर से कोई पेश नहीं हुआ, जिसके चलते याचिका खारिज की जाती है।
पिछले साल 2 नवंबर को दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, आयुष, वित्त और गृह मंत्रालय और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जनहित याचिका के जवाब में अपना-अपना हलफनामा दाखिल करने को कहा था। याचिका में नागरिकों के स्वास्थ्य के अधिकार को सुरक्षित करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण मिशन, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) यानी आयुष्मान भारत में आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा को शामिल करने की मांग की गई है।
आयुष्मान भारत, जिसे 2018 में लॉन्च किया गया था, के दो मुख्य घटक हैं: PM-JAY और स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र। PMJAY के तहत प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य कवरेज प्रदान किया जाता है। याचिका में मांग की गई है कि इस योजना को हर राज्य में लागू किया जाए और भारतीय स्वास्थ्य प्रणालियों को इसके तहत कवर किया जाए। इसमें कहा गया है कि इस तरह के समावेशन से देश की आबादी के एक महत्वपूर्ण हिस्से को बिना किसी नुकसान के और कम दरों पर गंभीर बीमारियों में किफायती स्वास्थ्य देखभाल लाभ और कल्याण प्राप्त करने की अनुमति मिलेगी और आयुर्वेद के क्षेत्र में हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा।