इंडिया न्यूज, नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से छात्राओं को स्कूल में ही सैनेटरी नैपकिन उपलब्ध कराने के मामले में दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जवाब मांगा है। याचिका में दिल्ली सरकार को राजधानी के सभी सरकारी स्कूलों की छात्राओं को नैपकिन उपलब्ध कराने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ इस मामले में छह जुलाई को सुनवाई करेगी।
कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए पूछा कि अंतरिम व्यवस्था न होने पर इस तरह की योजनाओं को क्यों रोका जाना चाहिए। दिल्ली सरकार को एक नीति विकसित करनी चाहिए, जहां समय के साथ मौजूदा अनुबंध समाप्त होने पर भी व्यवस्थाएं चलती रहें।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल एक अनुबंध की अवधि के समाप्त हो जाने पर इस तरह के सामाजिक कार्य को बंद नहीं करना चाहिए। गैर सरकारी संगठन सोशल ज्यूरिस्ट द्वारा दाखिल याचिका में कहा गया है कि जनवरी 2021 से शिक्षा निदेशालय (डीओई) दिल्ली के सरकारी स्कूलों की छात्राओं को किशोरी योजना के तहत सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध नहीं करा रहा है, जिससे छात्राओं को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
अधिवक्ता अशोक अग्रवाल और कुमार उत्कर्ष की ओर से दायर याचिका में बताया गया है कि शिक्षा निदेशालय ने किशोरी योजना को अपनाया था, जिसके तहत दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाली छात्राओं को उनकी व्यक्तिगत स्वच्छता और सामान्य स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए सैनिटरी नैपकिन दिए जाने थे। याचिका में स्पष्ट किया गया है कि छात्राओं के लिए सैनिटरी नैपकिन सुविधा की देना उनकी व्यक्तिगत स्वच्छता और सामान्य स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके अभाव में उनकी शिक्षा और उपस्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। ऐसे में इस व्यवस्था का सुचारू रूप से पालन क्यों नहीं हो रहा है। इस मामले को सरकार को स्पष्ट करनी चाहिए।
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