India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Delhi High Court: दिल्ली हाई कोर्ट ने विश्व भर में यौन समस्याओं के इलाज में प्रयुक्त ‘वियाग्रा’ दवा पर महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। दिल्ली हाई कोर्ट ने ‘वियाग्रा’ के ट्रेडमार्क को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। इस दवा का पूरा हक अमेरिकी कंपनी ‘फाइजर’ को मिला है, जिसने इसे बनाया और नाम दिया था। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने सुनवाई के दौरान इस बात को बड़ी स्पष्टता से बताया कि ‘वियाग्रा’ शब्द का मूल अर्थ और उपयोग फाइजर कंपनी के ही अधीन है। यह निर्णय उन्हीं अंतरराष्ट्रीय दस्तावेजों के आधार पर लिया गया है, जो कि कंपनी के अधिकार को पुष्टि करते हैं।
उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि अब ‘वियाग्रा’ शब्द को ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में भी शामिल किया गया है, और इसके विकास में फाइजर का योगदान था।अब, अदालत ने एक अन्य कंपनी, रिनोविजन एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड, को विगोरा नाम के उत्पाद की बिक्री बंद करने का आदेश दिया है। यह नाम वियाग्रा के बहुत ही समान लगता है, और इसके चलते लोगों को कंफ्यूजन हो सकती है। इस वजह से, अदालत ने यह फैसला लिया है कि इस कंपनी को विगोरा नाम के उत्पाद की बिक्री बंद करनी होगी। हम आपको बता दें कि रिनोविजन कंपनी विगोरा नाम से होम्योपैथिक दवाई की बिक्री करती है।
अदालत ने तय किया कि रिनोविजन और अन्य कंपनियों को ‘VIGOURA’ नाम से दवा बेचने की अनुमति नहीं है, जो की वियाग्रा के जैसा लगती है। इससे फाइजर के ट्रेडमार्क अधिकार का उल्लंघन होता है। जस्टिस ने यह भी कहा कि ‘VIGOURA’ और ‘वियाग्रा’ के बीच की ध्वनि एक सी लगती है, जिससे लोगों में गलतफहमी हो सकती है। अदालत ने रिनोविजन को 3 लाख रुपये का नुकसान भरने का आदेश दिया है।
हम आपको बता दें कि फाइजर ने अदालत में केस दायर किया था। रिनोविजन नामक कंपनी पर केस किया था कि उन्होंने ट्रेडमार्क को उल्लंघन किया है। रिनोविजन जर्मनी में बनी होम्योपैथिक दवाओं को VIGOURA नाम से बेच रही है। जांच के दौरान पता चला कि मार्केट में VIGOURA 2000, VIGOURA 5000, और VIGOURA 1000 नाम से भी दवाएं बिक रही हैं। फाइजर की यह शिकायत थी कि यह नाम उनकी मशहूर टैबलेट VIAGRA के बहुत करीब है। ऐसा करना ट्रेडमार्क कानून का उल्लंघन है। इससे रिनोविजन ने लोगों को गलत धारणा में डालकर उनका भ्रमित किया और उन्हें गलत दवाएं बेची।
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