India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Delhi: दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली महिला आयोग के 223 कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से हटा दिया है। इस निर्णय का कारण है आयोग की पूर्व अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के दौरान किये गए नियमों की उल्लंघन। उन्हें बिना इजाजत के कर्मचारी नियुक्त किए थे। सक्सेना ने कहा कि महिला आयोग को सिर्फ 40 पदों की स्वीकृति है, इसके अलावा किसी अन्य पद के लिए कर्मचारी नियुक्ति नहीं की जा सकती। इस आदेश के बाद, इन 223 कर्मचारियों को काम से हटा दिया गया है। स्वाति मालीवाल ने इस मामले में किसी भी तरह का जवाब नहीं दिया है। इस मुद्दे का सरकारी स्तर पर निर्णय लिया जा रहा है और उन्हें इसे मानना होगा।
दिल्ली महिला आयोग के 223 कर्मचारियों की नियुक्ति स्थगित कर दी गयी है, जिसका आदेश दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने जारी किया है। इस आदेश के अनुसार, ये कर्मचारी तत्काल प्रभाव से अपने पदों से हटा दिए गए हैं। उपराज्यपाल वीके सक्सेना के आदेश में दिल्ली महिला आयोग के 223 अतिरिक्त पदों की स्थापना को लेकर संदेह जताया गया है। सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने कहा कि यह पद सितंबर 2016 में स्थापित किए गए थे, लेकिन उनकी स्थापना के लिए सरकारी मंजूरी नहीं थी। उपराज्यपाल के इस आदेश के बाद, इन कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है। महिला आयोग के पूर्व अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के कार्यकाल के दौरान भी उनके कुछ कर्मचारियों की नियुक्ति को लेकर विवाद था। उनके नियुक्ति के समय परिपत्र नहीं लिए जाने के कारण, उन्हें उपयुक्त तरीके से नियुक्ति नहीं मानी जा सकती थी।
उपराज्यपाल के आदेश में कहा गया है कि दिल्ली महिला आयोग के पूर्व अध्यक्ष स्वाति मालीवाल द्वारा लिए गए फैसले नियमों के खिलाफ हैं। उन्होंने बिना एलजी की मंजूरी के 223 पद सृजित किए और नोटिस के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की। इसके अलावा, डीसीडब्ल्यू के कर्मचारियों के वेतन और अन्य भत्तों में भी नियमों के खिलाफ बढ़ोतरी की गई। डीसीडब्ल्यू अधिनियम के अनुसार डीसीडब्ल्यू में 40 स्वीकृत पद प्रदान किए गए हैं, लेकिन आयोग में 223 पद सृजित करके और कर्मचारियों को नियुक्त करके डीसीडब्ल्यू अधिनियम, 1994 के वैधानिक प्रावधानों और वित्त एवं योजना विभाग, जीएनसीटीडी के विभिन्न स्थायी निर्देशों का उल्लंघन किया गया। वहीं जो नियुक्तियां की गई वो भी औपचारिक रूप से नहीं हुईं।
उपराज्यपाल ने महिला आयोग के अनियमितताओं को ध्यान में रखते हुए स्वीकृत पदों के बिना और सही प्रक्रिया के बिना DCW में संविदा कर्मचारियों को निकाल दिया। उनकी सेवाएं तत्काल बंद करने का निर्णय लिया गया है। इन कर्मचारियों को डीसीडब्ल्यू में जारी रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती। इसलिए सरकार की मंजूरी से दिल्ली महिला आयोग को उन सभी संविदा कर्मचारियों की सेवाओं को तत्काल प्रभाव से बंद करने के लिए सूचित किया जाता है।
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