India News Delhi (इंडिया न्यूज), Loksabha Delhi Election: चुनाव चाहे विधानसभा का हो या लोकसभा का, हर वोट की अपनी कीमत होती है। दिल्ली में शनिवार को 7 लोकसभा सीटों के लिए मतदान होना है। इस मौके पर सभी राजनीतिक दलों ने हर वर्ग के वोटरों को आकर्षित करने की पूरी कोशिश की है।
लोकसभा चुनाव के इस महाकुंभ में उम्मीदवारों के लिए असली भाग्यविधाता युवा मतदाता होंगे। चुनाव में एक-एक वोट कीमती होता है, चाहे वह युवा हो, अधेड़ उम्र का हो या बुजुर्ग। इसलिए प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों ने हर उम्र के मतदाताओं को साधने की पूरी कोशिश की है। फिर भी, इस चुनावी दंगल में असली निर्णयकर्ता युवा मतदाता ही होंगे।
दिल्ली में 18 से 44 वर्ष के मतदाताओं की संख्या अधिक है, इसलिए इस उम्र के युवा मतदाता ही प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे। 22 जनवरी को जारी मतदाता सूची के अनुसार, दिल्ली में कुल एक करोड़ 47 लाख 18 हजार 119 मतदाता थे, जिनमें से 18 से 38 वर्ष की उम्र के मतदाताओं की संख्या करीब 45 प्रतिशत थी।
22 जनवरी के बाद, तीन महीने में करीब पौने नौ लाख नए मतदाता जुड़े हैं। इस वृद्धि के कारण, युवा मतदाताओं का महत्व और भी बढ़ गया है।
दिल्ली में बड़ी संख्या में युवा मतदाताओं का नाम मतदाता सूची में शामिल हुआ है, जिससे युवा मतदाताओं की संख्या में वृद्धि हुई है। अब दिल्ली में कुल एक करोड़ 52 लाख एक हजार 936 मतदाता हैं, जो 25 मई को चुनाव में मतदान करेंगे। इनमें 18 से 39 वर्ष की उम्र के युवा मतदाताओं की संख्या बढ़कर 46.45 प्रतिशत हो गई है। इसके अलावा, दिल्ली में 40 से 44 वर्ष की उम्र के करीब 17 लाख 45 हजार मतदाता हैं।
अगर 40 से 44 वर्ष के मतदाताओं को भी युवा मतदाताओं की श्रेणी में शामिल कर लिया जाए, तो दिल्ली में 18 से 44 वर्ष की उम्र के बीच के मतदाताओं का प्रतिशत 57.93 हो जाता है। इसलिए, यह युवा वर्ग चुनाव का परिणाम तय करने की क्षमता रखता है। युवाओं के सामने रोजगार एक बड़ा मुद्दा होता है।
इसी वजह से भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) ने युवा मतदाताओं को लुभाने के लिए शिक्षा, रोजगार और स्टार्टअप से संबंधित गारंटी और लोकलुभावन वादे किए हैं। अब देखना यह है कि मतदान के दौरान युवा मतदाता किस दल और गठबंधन के वादों से अधिक प्रभावित होते हैं।
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