Delhi Mayor: ऐसा कहा जाए कि इस बार को दिल्ली को बड़े ही मशक्कत के बाद महापौर मिला, तो यह गलत नहीं होगा। अगर सबकुछ निर्धारित समय से होता तो दिल्ली को दो महीने ही मेयर मिल गया होता, लेकिन करीब 60 दिनों तक दोनों दलों के बीच खींचतान चलती रही, एक समय तो ऐसा लगने लगा कि दोनों पार्टियों को इस चुनाव के लिए एक साल तक का समय भी दे दिया जाता तब भी चुनाव नहीं हो पाता। आखिरकार सुप्रीम कोर्ट के हस्ताक्षेप के बाद दिल्ली नगर निगम को ‘आप’ की शैली ओबेरॉय के रूप में महापौर चुना गया, लेकिन आपको बता दें कि ओबेरॉय के सिर पर यह ताज अप्रैल महीने तक ही रहने वाला है, क्योंकि निगम का वित्त वर्ष एक अप्रैल से 31 मार्च तक होता है। डीएमसी एक्ट 1957 के मुताबिक हर साल वित्त वर्ष के पहले महीने यानी अप्रैल में महापौर का चुनाव होता है। इस तरह प्रत्येक वर्ष महापौर चुने जाते हैं।
बता दें एमसीडी के इतिहास में उनका कार्यकाल सबसे छोटे कार्यकालों में से एक होगा। अप्रैल माह तक ही वह महापौर रहेंगी। वहीं अप्रैल में जब फिर से चुनाव किए जाएंगे तो आम आदमी पार्टी (आप) अगले कार्यकाल के लिए दोबारा से ओबेरॉय को उम्मीदवार बना सकती है। आपको बता दें कि इससे पहले निगम के इतिहास में सबसे कम महज एक माह का कार्यकाल महेश चंद शर्मा का रहा था, वह 18 अक्टूबर 1999 को महापौर बने थे और 15 नवंबर 1999 तक इस पद पर बने रहे थे। वहीं सबसे लंबे कार्यकाल महिंदर सिंह साथी का रहा था, वह तकरीबन सात वर्ष का था। वह 28 फरवरी 1983 से 11 जनवरी 1990 तक महापौर पद लगातार पर बने रहे थे। इसके बाद हंसराज गुप्ता का नंबर आता था। वह 10 अप्रैल 1967 को महापौर चुने गए थे और नौ अप्रैल 1972 तक लगातार इस पद पर बने रहे थे।
उल्लेखनीय है कि आम आदमी पार्टी (आप) की शैली ओबेरॉय बुधवार को हुए मेयर चुनाव में जीत हासिल करने में कामयाब रही। ओबेरॉय को भाजपा उम्मीदवार रेखा गुप्ता के 116 के मुकाबले शैली ओबेरॉय को 150 वोट मिले। जीत के बाद संबोधन करते हुए उन्होंने सभी सदस्यों को विश्वास जताने के लिए धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि जबतक वह इस पद हैं दिल्ली की बेहतरी के लिए काम करना उनकी पहली प्राथमिकता होगी। उन्होंने कहा कि दिल्ली को स्वच्छ, सुंदर और आधुनिक बनाने के लिए वो हर संभव प्रयास करेगी।