इंडिया न्यूज, नई दिल्ली : Delhi Mundka Fire update news: देश की राजधानी दिल्ली के मुंडका इलाके के एक चार मंजिला व्यवसायिक बिल्डिंग में शुक्रवार शाम को आग लग गई। जिसमें 27 लोगों की मौत हो गई तथा एक दर्जन लोग झुलस गए।
वहीं इस अगलगी में 29 लोग लापता बताए जा रहे हैं। लापता होने वालों में 24 महिलाएं और 5 पुरुष बताए जाते हैं। इस अगलगी में मरने वाले 27 लोगों में से अब तक 6 लोगों की पहचान की गई है। बाकी अन्य के पहचान किए जाने बाकी है। इस मामले की जानकारी मिलने के बाद सांसद हंसराज हंस संजय गांधी अस्पताल पहुंचकर घायल लोगों से मिलकर उनका स्वास्थ्य का जायजा लिया तथा अस्पताल में मौजूद कर्मचारियों को चिकित्सा के आवश्यक निर्देश दिए।
इस अगलगी का मामला सामने आने के बाद अपने स्वजनों को खोजते शनिवार को रोते बिलखते पीड़ित परिवार के सदस्य दिल्ली के संजय गांधी अस्पताल पहुंचे और अपने परिजन को खोजते नजर आए। इस अगलगी के बारे में कुछ महिला कर्मचारियों ने बताया कि आग लगने के बाद मौके पर अफरा तफरी मच गई थी।
हादसे के समय रस्सी के सहारे नीचे उतरी लड़कियों और महिलाओं ने बताया कि अगलगी के समय उन्हें कंपनी वाले शीशे नहीं तोड़ने दिए। जिससे उनके अधिकतर साथी फंस गए। उन्होंने आगे बताया कि अगलगी के समय कंपनी की मीटिंग चल रही थी तथा कंपनी को नंबर वन बनाने की बात चल रही थी। मीटिंग के दौरान बिजली गुल होने पर उन्हें अगलगी का पता चला।
हादसे के समय व्यवसायिक बिल्डिंग में मौजूद रहीं संगीता उर्फ पूजा ने बताया कि वह अगलगी के समय बिल्डिंग में मौजूद थी तथा अगलगी के दौरान वह दूसरी मंजिल के कूदकर अपनी जान बचायी। लेकिन इस दौरान उनकी भांजी नहीं कूद पाई। अब वह उसकी तलाश के लिए संजय गांधी अस्पताल पहुंची हैं तथा वह अपनी भांजी को ढूंढ रही है।
इसी तरह रानी खेड़ा की मंजू का 25 वर्षीय पुत्र विशाल हादसे के बाद से लापता है। वह अगलगी के समय इमारत में मौजूद था। लेकिन अगलगी के बाद उसका पता नहीं है। वह अपने पुत्र की खोज में अस्पताल पहुंची है। इसी तरह उत्तर प्रदेश के फतेहपुर की सुनीता अपनी पुत्री को खोजती हुई अस्पताल पहुंची है। उसने बताया कि वह मुंडका की कच्ची सड़क के पास रहती हैं। अगलगी के समय उसकी 20 वर्षीय पुत्री सोनम उक्त बिल्डिंग में थी तथा वह लापता है। वह अपनी पुत्री को खोज रही है।
संजय गांधी अस्पताल के बाहर दिल्ली के मुंडका में हुए भीषण अग्निकांड में घायल बिमला ने घटना के बारे में पत्रकारों को बताया कि वह सब कंपनी की एक मीटिंग में बैठी हुई थी। अचानक बिजली गुल हो जाने से किसी ने कहा कि बाहर धुएं का गुबार उठ रहा है। इतना सुनने के बाद मौके पर अफरा-तफरी मच गई, खिड़कियां तोड़ी गईं और नीचे उतरने के लिए लोगों ने ऊपर रस्सियां फेंकी। वहीं रस्सी के सहारे किसी तरह अपने आप को बचाने में सफल रही।
संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल से डिस्चार्ज हुई एक महिला ने बताया कि घटना के समय हमलोग मीटिंग में बैठे हुए थे। हमें पता नहीं चला कि कब आग लग गई। हमें बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं था। बिल्डिंग से बाहर निकलने के लिए केवल एक ही निकास था जहां आग लग चुकी थी। हम तीसरी मंजिल पर थे। जहां करीब 250-300 लोग मौजूद थे।
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