इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
Delhi Municipal Corporation : निर्वाचन आयोग ने दिल्ली नगर निगम की एकीकरण की प्रक्रिया चुनाव प्रक्रिया रद्द कर शुरू कर दी है। गौरतलब है कि तीनों नगर निगमों का विलय करने की कवायद शुरू होने पर दिल्ली राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव कराने की प्रक्रिया बंद कर दी है। आयोग ने चुनाव कार्य से जोड़े गए दिल्ली सरकार के सभी अधिकारियों को कार्य मुक्त कर दिया है। इसके साथ ही चुनाव कार्य के लिए विभिन्न विभागों से बुलाए कर्मचारियों को भी वापस भेजना शुरू कर दिया है।
ज्ञात हो कि केंद्र सरकार ने 9 मार्च को आयोग को चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करने से मना कर दिया था। अब केंद्र ने तीनों नगर निगमों का विलय करने की कवायद आरंभ कर दिया है। इस प्रक्रिया के तहत वार्डों की संख्या कम करने का निर्णय लिया गया है। इस निर्णय से अब वार्डों का परिसीमन नए सिरे से किया जाएगा। नए सिर से परिसीमन कार्य किए जाने की वजह से फिलहाल चुनाव नहीं हो सकते।
इसलिए आयोग ने चुनाव कराने की प्रक्रिया बंद करने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही आयोग ने सभी रिटर्निंग अधिकारियों को अपने विभाग का कार्य करने का निर्देश दिया है। इसके अलावा उनके कार्यालय में आए दूसरे विभागों के कर्मचारियों को भी वापस भेजने का निर्देश दे दिया है। आयोग ने रिटर्निंग अधिकारियों को चुनाव के लिए तैयार रहने के लिए भी निर्देश दिए हैं।
इसके साथ ही उन्हें यह भी बताया गया है कि चुनाव कार्य के लिए उन्हें कभी भी बुलाया जा सकता है। दूसरी ओर आयोग ने कश्मीरी गेट स्थित निगम भवन में अपने कार्यालय से सामान भी वापस भेजना शुरू कर दिया है। आयोग ने बड़ी संख्या में मेज एवं कुर्सी किराए पर ले रखी थी। इसी तरह किराए पर लिए गए अन्य सामान को भी वापस करने का निर्णय लिया गया है। (Delhi Municipal Corporation)
गौरतलब है कि 272 वार्डों के लिए 72 रिटर्निंग अधिकारी नियुक्त किए गए थे। दिल्ली राज्य निर्वाचन आयोग ने तीनों नगर निगमों के 272 वार्डों के चुनाव कराने के लिए दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों के 72 अधिकारियों को रिटर्निंग अधिकारी नियुक्त किया था। उनकी सहायता के लिए 272 सहायक निटर्निंग अधिकारी भी नियुक्त किए थे। इसके अलावा आयोग ने रिटर्निंग अधिकारियों के कार्यालयों के लिए भी विभिन्न विभागों से करीब 20-20 कर्मचारी बुलाए थे। आयोग ने सफलता पूर्वक चुनाव कराने के लिए जिला अधिकारी और पर्यवेक्षक भी नियुक्त किए थे।
दिल्ली नगर निगम संशोधन विधेयक 2022 को राज्यसभा में लाने से रोकने के लिए आम आदमी पार्टी ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है। राज्यसभा में आप सांसद संजय सिंह ने शुक्रवार को इस मुद्दे पर चर्चा कराने के लिए नोटिस दिया है। नोटिस में पेश किए जाने वाले विधेयक के संदर्भ में सदन की प्रक्रिया और संचालन के नियम 67 का हवाला दिया गया है। संजय सिंह ने नोटिस के माध्यम से दावा किया है कि दिल्ली के बारे में कोई भी फैसला लेने का अधिकार केवल राज्य की चुनी हुई सरकार की होती है। (Delhi Municipal Corporation)
उन्होंने आगे कहा कि मोदी सरकार लोकतांत्रिक परंपराओं और संविधान का गला घोंट रही है। उन्होंने कहा कि दिल्ली नगर निगम संशोधन विधेयक-2022 को उच्च सदन में पेश नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि नियम 67 कहता है कि यदि विधेयक सदन की विधायी क्षमता का नहीं है तो विधेयक को पेश करने का विरोध किया जा सकता है।
आप सांसद ने कहा कि संविधान के भाग नौ ए के अनुसार नगर पालिकाओं के कामकाज के सभी पहलुओं पर कानून बनाने की जिम्मेदारी राज्य विधानसभा की होती है। ऐसे में केंद्र सरकार को इस विधेयक को लाने का कोई अधिकार नहीं है। इसलिए वह सभापति से अनुरोध करते हैं कि वह इस विधेयक को सदन में पेश करने की अनुमति न दे और सरकार को इसे वापस लेने का आदेश दे। ताकि संविधान के मर्यादा को यथावत बनाया रखा जा सकें। (Delhi Municipal Corporation)
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