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नई दिल्ली: दिल्ली की तीन लैंडफिल साइट्स से कूड़ा न उठा पाने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली सरकार पर 900 करोड़ रुपये जुर्माना लगाया है। बुधवार को न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह आदेश देते हुए कहा कि गाजीपुर, भलस्वा और ओखला में तीन डंप साइटों पर लगभग 80 प्रतिशत कचरे का निस्तारण नहीं किया गया। पीठ में न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल और अफरोज़ अहमद भी थे।
पुराने कचरे की मात्रा 300 लाख मीट्रिक टन
पीठ ने कहा कि तीन लैंडफिल स्थल (कूड़े के पहाड़) गाज़ीपुर, भलस्वा और ओखला में करीब 80 फीसदी कचरा पुराना है और इसका अबतक निपटान नहीं किया गया और इन तीनों स्थलों पर पुराने कचरे की मात्रा 300 लाख मीट्रिक टन है।पीठ ने कहा कि इस परिदृश्य ने राष्ट्रीय राजधानी में पर्यावरणीय आपातकाल की गंभीर तस्वीर प्रस्तुत की।
हानिकारक गैसों से भूजल दूषित हो रहा
पीठ ने कहा, “शासन की कमी के कारण नागरिकों को आपात स्थिति झेलने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। मीथेन और अन्य हानिकारक गैसों का लगातार उत्सर्जन हो रहा है तथा भूजल दूषित हो रहा है।” पीठ ने कहा कि आग लगने की बार-बार घटनाएं होने के बावजूद न्यूनतम सुरक्षा उपाय भी नहीं अपनाए गए। महंगी सार्वजनिक भूमि पर कचरे के ढेर लगे हैं।
नागरिकों के अधिकारों का हुआ उल्लंघन
एनजीटी ने कहा कि नागरिकों के अधिकारों का गंभीर उल्लंघन हुआ है और संबंधित अधिकारी पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए उपाय करने में नाकाम रहे हैं। अब तक उठाए गए कदम कानून के तहत पर्याप्त नहीं हैं और गंभीर वास्तविक आपातकालीन स्थिति के अनुरूप नहीं हैं, जो लगातार नागरिकों और पर्यावरण की सुरक्षा और स्वास्थ्य को खतरे में डालते हैं, जिसमें अधिकारियों की कोई जवाबदेही नहीं होती है।
900 करोड़ का करना होगा भुगतान
पीठ ने कहा, “हम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली को तीन लैंडफिल स्थलों पर तीन करोड़ मीट्रिक टन निपटान नहीं किए गए कचरे की मात्रा के संबंध में 900 करोड़ रुपये के पर्यावरणीय मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी मानते हैं।” राशि को दिल्ली के मुख्य सचिव के निर्देशों के तहत संचालित होने वाले अलग खाते में जमा किया जा सकता है।
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