Delhi News: पराली जलाने के दुष्प्रभावों को लेकर सरकार लोगों को जागरूक कर रही थी। अब ये शुरूआत रंग ला रही है। इसी वजह से अब तक पंजाब और हरियाणा में इस साल पराली जलाने की घटनाएं पिछले साल की तुलना कम हुई हैं। इस बात की जानकारी वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने दी है। सोमवार को सीएक्यूएम द्वारा जारी एक पत्र में कहा गया है कि 15 सितंबर से 16 अक्टूबर तक पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के आठ एनसीआर जिलों में फसल अवशेष जलाने की 1,695 घटनाएं हुई हैं। पिछली साल पराली जलाने की यही घटनाएं इसी अवधि के दौरान 3,431 आई थीं।
पंजाब में 15 सितंबर से लेकर 16 अक्टूबर तक धान के अवशेष जलाने के 1,444 मामले देखने के मिले हैं, ये पिछले साल 16 अक्टूबर तक दर्ज 2,375 की संख्या से कम हैं। बता दें कि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) नासा की सैटेलाइट के जरिए पराली जलाने की घटनाओं पर निगरानी रखता है। इनके अनुसार 2020 में 1 अक्टूबर से 16 अक्टूबर तक पंजाब में 4,110 पराली जलाने की घटनाएं सामने आई थीं। ये 2019 में इसी अवधि के दौरान यह संख्या 1,286 थी।
IARI के आंकड़ों की मानें तो इस साल 16 अक्टूबर तक कुल 6 राज्यों से पराली जलाने की 1,828 घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें कि दिल्ली से केवल दो घटनाए सामने आई हैं। वहीं, पिछले एक सप्ताह में आगजनी की घटनाएं बढ़ी हैं। सोमवार को पंजाब में अब तक की सर्वाधिक 403 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गई हैं। यह रविवार को दर्ज की गई 206 की संख्या से लगभग दोगुना ज्यादा है।
वहीं IARI के प्रमुख वैज्ञानिक विनय सहगल का कहना है कि पिछले साल से तुलना करें तो स्थिति अभी साफ नहीं है। आज पंजाब में 403 केस सामने आए और हरियाणा में 86। ऐसा हो सकता है कि बारिश की वजह से अभी तक पराली जलाने की कम घटनाएं सामने आई हों और ये आने वाले दिनों में बढ़ सकती हो। इस बात का इस महीने के बाद पता चलेगा। उन्होंने आगे कहा कि पराली जलाने की ज्यादातर घटनाएं 26-27 अक्टूबर और नवंबर के पहले हफ्ते में होती है।
बता दें कि ‘सफर’ के प्रोजेक्ट डायरेक्टर गुफरान बेग का कहना है कि दिल्ली में सोमवार को लगातार दूसरे दिन एक्यूआई- 237 खराब कैटेगिरी में रिकॉर्ड हुआ है। पराली जलाने की घटनाओं की वजह से दो दिन पहले दिल्ली में पीएम 2.5 कणों का स्तर काफी बढ़ गया था। फिलहाल इसमें गिरावट दर्ज की गई है। उनके अनुसार पिछले तीन दिनों से पराली के कारण 2.5 प्रदूषकों का स्तर एक, दो और तीन प्रतिशत बढ़ा है। ये बीते साल इसी समय 14% था। पीएम 2.5 प्रदूषकों के स्तर में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और ये सर्दियां और वायु प्रदूषण के बढ़ने का संकेत दे रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि इस बार पराली जलाने की घटनाओं के कारण प्रदूषण का स्तर दिल्ली में कम रहा है। उन्होंने ये भी आशंका जताई है कि आने वाले तीन दिनों में दिल्ली में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब देखने को मिल सकती है।
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