Delhi News: दिल्ली सरकार की ओर से प्रस्तावित रेड लाइट आन गाड़ी आफ अभियान की फाइल को उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मुख्यमंत्री को वापस भेज दिया है। एलजी का कहना है कि दिल्ली सरकार अपने इस अभियान की समीक्षा करे। इसके बाद फाइल को दोबारा मंजूरी के लिए भेजें। एलजी ने फाइल पर अपनी नोटिंग में लिखा है कि अभियान सिविल डिफेंस कर्मियों को खतरे में डालने के अलावा और कुछ भी नहीं है। इसमें यह साबित नहीं होता कि यह प्रदूषण को रोकने में प्रभावी हो सकता है।
सूत्रों के मुताबिक उपराज्यपाल कार्यालय में भेजने से पहले यह फाइल सीएम के पास लगभग 10 दिनों तक थी। इस फाइल में अभियान चलाने का प्रस्तावित समय 31 अक्तूबर दर्शाया गया हौ। वहीं, पर्यावरण मंत्री 28 अक्तूबर की बात कर रहे हैं। बता दें कि यह फाइल उसी दिन वापस लौटाई गई जब इस पर मंजूरी देने की मांग करते हुए आम आदमी पार्टी (आप) कार्यकर्ता राजनिवास पर प्रदर्शन कर रहे थे। उपराज्यपाल के अनुसार गंभीर स्तर के प्रदूषण में सिविल डिफेंस कर्मियों को सिग्नल पर खड़ा करना खतरनाक साबित होगा।
अभियान के लिए सिग्नल पर खुले में सिविल डिफेंस कर्मियों को खड़ा करना उनकी सेहत के लिए ठीक नहीं है। कई अध्यनन बतात हैं कि सब पर असर डालने वाला वायु प्रदूषण की मार तुलनात्मक रूप से गरीबों पर ज्यादा पड़ती है। वहीं, वाहनों के भारी दबाव वाले स्थानों पर खड़ा होने से दुर्घटना भी हो सकती है। उपराज्यपाल का कहना है कि इसका कोई प्रमाणिक आंकड़ा नहीं मिला है कि इस अभियान से वायु प्रदूषण कम हुआ है। इसलिए सिविल डिफेंस कर्मियों का इस्तेमाल अमानवीय प्रकार से नहीं कर सकते हैं। सरकार को इसके स्थान पर कोई तकनीकी समाधान बताना चाहिए।
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