India News (इंडिया न्यूज), Delhi News: देश की राजधानी दिल्ली में उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग को लेकर एक अहम फैसला लिया गया। दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने राजधानी में उपभोक्ता शिकायतों के निवारण हेतु बड़ा कदम उठाते हुए दिल्ली राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (ncdrc delhi) में 37 अतिरिक्त पदों के सृजन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। यह मंजूरी राज्य उपभोक्ता आयोग में लंबित मामलों के मद्देनजर लिया गया। जिसमें जून 2020 में अतिरिक्त पदों के सृजन का प्रस्ताव रखा गया था। अजीत कुमार श्रीवास्तव कि रिपोर्ट के अनुसार 1 मार्च 2020 तक राज्य आयोग में निपटान के लिए लंबित मामलों की कुल संख्या 7760 थी, जिसमें 5848 शिकायतें शामिल थीं, जिनमें निष्पादन आवेदन (Execution Applications) और 1912 अपील व संशोधन याचिकाएं (Revision Petitions) भी शामिल थीं।
उपराज्यपाल ने कहा कि नए पदों के सृजन से पारदर्शिता को प्रोत्साहन मिलेगा साथ ही इससे आम लोगों की शिकायतों का त्वरित समाधान भी होगा। पिछले वर्ष मई में पदभार ग्रहण करने के बाद से ही वी.के. सक्सेना ने एक से अधिक अवसरों पर आम लोगों की शिकायतों के निवारण हेतु पर्याप्त तंत्र और प्रावधानों की कमी को उजागर किया है। उन्होंने इस बात पर भी लगातार जोर दिया है कि कानूनी मंचों के माध्यम से उनके लिए पर्याप्त प्रावधान किए जाएं। गौरतलब है कि, सक्सेना ने विभिन्न अवसरों पर एनएफएस अधिनियम, 2013 के तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली के संबंध में पारदर्शिता और शिकायत निवारण के लिए निकायों का गठन नहीं करने पर आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार की कड़ी आलोचना की थी।
सक्सेना ने जिन नए पदों के लिए मार्ग प्रशस्त किया है उनमें ये पद निम्न हैं
डिप्टी रजिस्ट्रार- 1 पद
अनुभाग अधिकारी- 3 पद
सहायक अनुभाग अधिकारी- 6 पद
वरिष्ठ सहायक- 6 पद
कनिष्ठ सहायक- 6 पद
पीएस- 3 पद
स्टेनो- 1 पद
एमटीएस- 5 पद (आउटसोर्स के आधार पर भरे जाने वाले) शामिल हैं। इन पदों के लिए पर्याप्त धनराशि का प्रावधान वित्त विभाग द्वारा किया जाएगा।
वर्तमान में सदस्यों की स्वीकृत संख्या पांच है जिसमें अध्यक्ष और तीन अदालतें, दो खंडपीठ और एक एकल सदस्यीय पीठ शामिल हैं। वित्त विभाग ने इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति जताई थी और वहीं सृजित पदों के लिए वित्तीय प्रावधान भी करेगा। गौरतलब है कि,1 जनवरी 1997 को गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार को योजना और गैर-योजना के तहत ग्रुप- ए, बी, सी और डी के पदों के सृजन की शक्तियां सौंपीं थीं। इसके अनुसार दिल्ली सरकार के किसी भी विभाग में स्थायी, अस्थायी या अतिरिक्त पदों को वित्त विभाग की सहमति और उपराज्यपाल की मंजूरी से सृजित किया जा सकता है ।
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