Delhi News: दिल्ली हाईकोर्ट में एक शख्स ने सोमवार को अजीबो गरीब मामला पेश किया है। दरअसल 56 वर्षीय व्यक्ति ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाते हुए कहा कि उसकी पत्नी, बेटी या दामाद उसका अंतिम संस्कार न करें। आपको बता दे हृदय रोग से पीड़ित याचिकाकर्ता को दिल बदलने की सलाह दी गई है। व्यक्ति ने बताया कि उसके परिवार ने उसके साथ बहुत क्रूर व्यवहार किया और उसे खुब तकलीफ भी दी है।
आपको बता दे शख्स ने कहा कि उसका शरीर परीवार के अलावा उस व्यक्ति को दिया जाना चाहिए जिसे वह अपना बेटा मानता है। इसके आगे उन्होंने याचिका में कहा कि उनके मुहबोले बेटे ने उनकी अच्छी तरह से देखभाल की है। यहां तक की बिस्तर पर पड़े रहने पर शौच भी साफ किया है। याचिकाकर्ता की याचिका देखते हुए न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने दिल्ली सरकार के वकील से मुर्दाघर के उस आधिकारिक प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका पर निर्देश लेने को कहा है, जो मृतक के रिश्तेदारों को शव पर अधिकार प्रदान करती है।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा कि वह केवल अपने जीवन के अधिकार, निष्पक्ष व्यवहार और गरिमा के साथ अपने मृत शरीर के अंतिम संस्कार के अधिकारों का प्रयोग करने की मांग कर रहा है। इसके आगे याचिकाकर्ता ने बताया कि उसकी मृत्यु की स्थिति में वह नहीं चाहता कि उसका शव परिवार के किसी सदस्यों या रिश्तेदारों को दिया जाए।
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