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नई दिल्ली: दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में अब ओपीडी में दिखाने के पैसे नहीं लगेंगे। एम्स के प्रशासन ने यहां पर पर्ची बनाने के लिए लिया जाने वाला 10 रुपये का शुल्क माफ कर दिया है। इसके साथ ही ओपीडी में उपचार करवाने वाले मरीजों को 300 रुपये तक का उपयोगकर्ता शुल्क भी समाप्त कर दिया गया है। एम्स प्रशासन का यह फैसला 1 नवंबर से लागू हो जाएगा।
बता दें कि ओपीडी में आने वाले मरीजों का पंजीकरण सभी कार्य दिवसों में सुबह 8 बजे से दोपहर 1.00 बजे तक किया जाएगा। वहीं दोपहर एक बजे के बाद ही बारी-बारी से विभिन्न विभागों के रेजिडेंट के साथ स्क्रीनिंग ओपीडी शाम 5 बजे तक चलेगी।
एम्स दिल्ली स्थित सेंटर में सीमित मरीजों के लिए सुविधा होने के कारण स्क्रीनिंग में पाए जाने वाले कैंसर मरीजों को झज्जर भेजा जाएगा। जिससे राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (एनआईसी) झज्जर में भी मरीजों की संख्या बढ़ेगी। इसके लिए एम्स दिल्ली ने परिवहन की सुविधा भी शुरू की है। जिससे यहां आने वाले ज्यादा मरीजों को सुविधा मिल पाएगी। झज्जर में मरीजों की सुविधा के लिए विश्राम स्थल भी बनाया गया है। अभी तक ज्यादा दूरी के कारण मरीज वहां नहीं जा पा रहे थे।
एम्स के निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास ने इस संबंध में एक आदेश जारी किया है। संस्थान के कर्मचारियों और उनके आश्रितों के लिए एम्स के ईएचएस ओपीडी में अब केवल ई-पर्ची ही बनेगी। जिन्हें ओपीडी में बैठे डॉक्टर अपने लॉगिन से ही बना सकेंगे। उनका पूरा ब्योरा भी डॉक्टर के एक क्लिक पर होगा। जिससे कर्मचारियों को पर्ची बनाने के लिए परेशान नहीं होगा पड़ेगा।
सूत्रों की माने तो ये कदम एम्स को पूरी तरह से डिजिटल बनाने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए उठाया गया है। आने वाले दिनों में इस कोशिश को अन्य मरीजों की पर्ची पर भी लागू किये जाने की संभावना है। जिससे मरीजों को पर्ची बनाने के लिए लाइन में लगने की जरूरत नहीं होगी। वहीं, मरीज की पूरी केस हिस्ट्री भी डॉक्टर के पास मौजूद होने के चलते उन्हें पुरानी पर्ची पर निर्भर नहीं होना होगा।
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