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Delhi: पुराना कर्मचारी निकला 90 लाख डकैती का मास्टरमाइंड, ऐसे हुआ खुलासा

• LAST UPDATED : December 21, 2023

India News(इंडिया न्यूज़), Delhi: सेंट्रल दिल्ली के दरियागंज इलाके में 90 लाख रुपये की लूट मामले की गुत्थी पुलिस ने सुलझाने का दावा किया है। इस संबंध में पुलिस ने व्यवसायी के दो पुराने कर्मचारियों समेत रावण गिरोह के कुल सात आरोपियों को गिरफ्तार कर 74 लाख रुपये बरामद किए हैं। गिरफ्तार आरोपियों में एक नाबालिग भी शामिल है।

कर्मचारी ने रची साजिश

कारोबारी के पुराने ड्राइवर ने कैशियर और दामाद के साथ मिलकर लूट की साजिश रची थी। जांच के बाद लूट का राज खुल गया। पुलिस ने दिल्ली, यूपी और हरियाणा में छापेमारी कर सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। इनके पास से वारदात में इस्तेमाल स्कूटर और बाइक के अलावा दो तमंचे, चार कारतूस और नकदी बरामद की गई है।

ऐसे हुआ खुलासा (Delhi)

पुलिस ने मयंक जैन के दोनों कर्मचारियों अनिल त्यागी और राज से गहन पूछताछ की। जांच के दौरान पुलिस को अनिल के बयानों पर शक हुआ। सख्ती से पूछने पर वह टूट गया। उसने अपराध में अपनी संलिप्तता स्वीकार कर ली। आरोपी ने बताया कि उसने अपने दामाद सोनीपत निवासी दीपक और कंपनी कैशियर आसिफ के साथ मिलकर साजिश रची।

 अपराध को ऐसे दिया अंजाम 

वारदात को अंजाम देने के लिए पहले प्लान बनाया गया। अनिल ने बताया कि वह अक्सर बड़ी रकम का लेन-देन करता है। अनिल के कहने पर उसने अपने दामाद और उसके दोस्त दिवेश उर्फ ​​रावण व अन्य से झिलमिल और दरियागंज स्थित ऑफिस की रेकी कराई। बाद में अनिल ने बताया कि वह 13 दिसंबर को कैश लेने दरियागंज जाएगा। सूचना मिलने के बाद स्कूटर और बाइक पर सवार दीपक, दिवेश उर्फ ​​रावण, लक्की, आशु और एक नाबालिग ने पिस्तौल के बल पर अनिल और राज से नकदी से भरे दोनों बैग लूट लिए।

 लाखों रुपये बरामद

घटना के वक्त खुद अनिल को भी नहीं पता था कि बैग में कितने पैसे हैं। बैग की जांच करने पर रकम का खुलासा हुआ। अनिल के खुलासे के बाद पुलिस ने सबसे पहले उसे गिरफ्तार किया। इसके बाद दीपक को सोनीपत के गन्नौर से पकड़ लिया गया। उनके पास से भारी मात्रा में पैसे बरामद किए गए। इसके बाद दिल्ली से आसिफ,बागपत से दिवेश उर्फ ​​रावण और शामली से लकी को पकड़ा गया। उनके पास से लूटी गई रकम में से 74 लाख रुपये बरामद कर लिए गए। पुलिस बाकी रकम बरामद करने का प्रयास कर रही है।

जांच में ये आया सामने

जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि अनिल पिछले 10 साल से मयंक जैन के यहां ड्राइवर की नौकरी कर रहा था। मालिक उस पर भरोसा करता था और उसके जरिए बड़ी रकम का लेनदेन कराता था। इसके बदले में उसे 20 हजार रुपये प्रति माह दिये जाते थे। आसिफ पिछले 14 साल से कंपनी में कैशियर था।

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