इंडिया न्यूज़, Delhi News : दिल्ली में हाल ही में जारी हुए आंकड़ों से ये खुलासा हुआ है की पिछले चार महीनों में दिल्ली के शहर से तकरीबन 1,879 बच्चे अभी तक लापता हो चुके हैं। इन बच्चों में ज्यादातर 12 से 18 वर्ष की आयु के बच्चे शामिल है। दिल्ली पुलिस के द्वारा अभी तक लगभग 1,178 बच्चों को ट्रैक कर लिया गया है। और बाकि के बच्चों को ढूंढने के लिए अभी पुलिस ने तलाश जारी रखी हुई है।
पिछले साल के आकंड़ों की बात करे तो 12-18 साल के समूह वाले बच्चों में गायब होने की संख्या में 2% की बढ़ोतरी हुई है। वहीं छोटे बच्चें जिनकी उम्र 0-8 वर्ष की है तो उनके लापता होने की इस वर्ष की संख्या लगभग 138 है जो इस वर्ष की तुलना में 10 प्रतिशत कम है। इस वर्ष में 8 से 11 साल की आयु के वर्ग वाले लापता बच्चों की संख्या 158 थी। वहीं, इन संबंधित विभिन्न आयु समूहों में पुलिस ने 980, 92 और 106 बच्चों को ढूंढ निकाला है।
पुलिस ने बताया की गुम हुए बच्चों की और व्यक्तियों की पहचान कराने मे पहचान प्रणाली सॉफ्टवेयर और जिÞपनेट, लापता बच्चों का पता लगाने में हमारी काफी मदद कर रहा है। पहले हमें लापता बच्चों का पता लगाने के लिए ज्यादातर एक से दूसरे राज्य में जाना पड़ता था और विश्राम गृहों की तलाशी लेनी पड़ती थी। अधिकतर केसों में हमें यह देखनो को मिला है की जो बच्चें लापता होते थे वह उन परिवारों से थे जो आर्थिक रूप से कमजोर और बेसहारा थे।
एक पुलिस अधिकारी ने तो यह तक बताया की कुछ बच्चे ऐसे परिवारों से थे जिन परिवारों के पास अपने बच्चों की तस्वीर नहीं थी तो हमें उन बच्चों को अन्य सुरागों से तलाशना पड़ता था। लापता बच्चों को खोजने के लिए दिल्ली पुलिस के लिए पहचान प्रणाली बहुत ही सही साबित हुई है। और पुलिस के लिए आसाधारण कार्य पुरस्कार एक अच्छा प्रोत्साहन साबित हुआ है।
अधिकतर बच्चें कोरोना काल के बीच लापता हुए है जिनके गुम होने का मुख्य कारण सोशल मीडिया भी है। पुलिस अधिकारी ने कहा की बच्चें कोविड-19 के दौरान काफी ज्यादा मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया है और उन्होंने सोशल मीडिया पर दोस्त बनाकर उनसे बातचीत की है और उनके कहने के अनुसार बच्चे उनसे मिलने चले जाते है और वापिस नहीं लौटते जिसके कारण से कई बच्चे ऐसे ही लापता हो रहे है।
छोटे बच्चे की बात करे तो छोटे बच्चों को खाने की चीज या अन्य किसी चीज का लालच देकर उनका अक्सर अपहरण कर लिया जाता है। दक्षिण दिल्ली के सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष वैदेही सुब्रमणि ने इस मामले में यह भी कहा है की कई युवा जिनकी आयु 18 वर्ष से अधिक है वह अपने घरों को छोड़ कर नौकरी की तलाश में निकल जाते है और वापिस लौट कर नहीं आते। जबकि अन्य छोटे बच्चों की बात करे तो वह बाल श्रम करने के लालच में घर को त्याग देते है और घर का रास्ता भुल जाते है या उन्हें कहीं बाहर बेच दिया जाता है।
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