दिल्ली की घनी आबादी प्रदूषण
भारत के उत्तरी मैदानी इलाकों में भूवैज्ञानिक और मौसम के कारकों की वजह से प्रदूषण में इजाफा हुआ है। वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक ने धूल कण और समुद्री नमक के 2.5 पीएम का अध्ययन किया। ये जांच इस निष्कर्ष पर पहुंची कि मानवीय गतिविधियां प्रदूषण में इजाफा करने में अहम रोल अदा करते हैं। राजधानी में वायु प्रदूषण होने की मुख्य वजह जनसंख्या घनत्व है। दिल्ली में देश के दूसरे शहरों के मुकाबले, आबादी का घनत्व तीन गुना अधिक है।
लंबे समय से प्रयास
तीनों राज्यों, नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन (एनटीपीसी) एवं एनसीआर के सभी थर्मल पावर प्लांटों को निर्देश दिए गए हैं कि वह ईंधन के तौर पर 10 प्रतिशत तक अनिवार्य रूप से पराली का इस्तेमाल करें, जो प्लांट इसका पालन नहीं करेगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि अक्टूबर की शुरुआत से ही पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं सामने आने लगती हैं। यह सिलसिला नवंबर मध्य तक अर्थात करीब डेढ़ महीने तक चलता है। बड़ी संख्या में जलाई जाने वाली पराली के चलते इसका धुआं राष्ट्रीय राजधानी इलाके में बड़े पैमाने पर फैल जाता है और हवा काे काला कर देता है। पराली जलाने की घटनाएं रोकने के लिए पिछले कुछ सालों से बहुत प्रयास किया जा रहा हैं। पहले की तुलना में इनमें कमी देखने को मिली है, लेकिन अभी इसे लंबा सफर तय करना है।
इन 6 देशों का भी बुरा हाल
बांग्लादेश, भारत, पाकिस्तान, चीन, नाइजीरिया और इंडोनेशिया में पड़ता है, जहां लोग प्रदूषित हवा में सांस लेने के कारण अपने जीवन के एक से 6 साल से ज्यादा समय गंवा देते हैं।’ सरकार ने ‘प्रदूषण के खिलाफ युद्ध छेड़ते हुए’ 2019 में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम शुरू किया था। एनसीएपी का लक्ष्य राष्ट्रीय स्तर पर 2017 की तुलना में 2024 तक कण प्रदूषण को 20 से 30 प्रतिशत तक कम करना रखा गया और उन 102 शहरों पर ध्यान केंद्रित किया गया जो भारत के राष्ट्रीय वार्षिक औसत पीएम 2.5 मानक को पूरा नहीं कर रहे थे। सरकार के नए लक्ष्य के अनुसार 2025-26 तक 131 शहरों में प्रदूषण को 2017 की तुलना में 40 प्रतिशत तक कम करना है।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि इस साल विंटर एक्शन प्लान में पराली और कूड़ा जलाना, वाहन, धूल प्रदूषण, हॉटस्पॉट, औद्योगिक प्रदूषण, वाररूम व ग्रीन एप को उन्नत बनाना और केंद्र सरकार के साथ पड़ोसी राज्यों से संवाद जैसे फोकस बिंदु मुख्य रूप से शामिल किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले 9 साल में पीएम 10 में 42 प्रतिशत और पीएम 2.5 में 46 प्रतिशत की कमी देखने को मिली है। फिर बैठक के दौरान उन्होंने यह भी बताया कि 12 सितंबर को दिल्ली सचिवालय में विंटर एक्शन प्लान को लेकर ‘एनवायरमेंटल एक्सपर्ट मीट’ का आयोजन किया जाएगा साथ ही साथ 14 सितंबर को सभी संबंधित 28 विभागों के साथ समीक्षा बैठक कर, विंटर एक्शन प्लान के लिए निर्धारित फोकस बिंदुओं पर संयुक्त कार्ययोजना तैयार की जाएगी।