India News(इंडिया न्यूज़)Delhi Pollution News: जधानी में अभी काफी सर्दी बाकी है लेकिन इस बार अल नीनो की स्थिति के कारण ऐसा होने की संभावना नहीं है। विज्ञानिकों का कहना है कि इस बार दिवाली भी नवंबर के मध्य में पड़ रही है। इस दौरान तारीखों पर ज्यादा चर्चा होगी और पराली निकलने का सीजन भी अपने चरम पर होगा। अन्य आतिशबाजी पर प्रतिबंध के बावजूद इन पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लगाया गया।
इस साल अल नीनो का असर कम हो रहा है, अगस्त और सितंबर में बारिश भी सामान्य से कम रही। अब इसका असर आलीशान रियल एस्टेट के प्रदूषण पर भी पड़ेगा। सफर भारत ही नहीं, मौसम वैज्ञानिकों ने भी इस खतरे का संकेत दिया है कि इस बार वायु प्रदूषण का खामियाजा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र को भुगतना पड़ सकता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक अल नीनो के दौरान हवाएं बेहद खराब रहती हैं। डेक्लर्ट पर अमेरिका की स्पीड बुक से तीन से पांच किमी प्रति घंटा तक कम होती जा रही है। इस बार, अन्यत्र वायु प्रदूषण से बचने के लिए मैसाचुसेट्स में और भी अधिक व्यापक कार्रवाई की आवश्यकता है।
डॉ. गुरफान बेग, संस्थापक निदेशक, जर्नी (वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान और अनुसंधान प्रणाली) एक कर्मचारी हैं। पिछले दो-तीन साल से दिल्ली में बीच समुद्र में ला नीना की स्थिति बनी हुई थी। इस वजह से समुद्री हवाएं और मौसम अनुकूल था।
माना कि राजधानी में सर्दियां बहुत हल्की नहीं होतीं, लेकिन अल नीनो की स्थिति के कारण इस बार ऐसा होने की संभावना नहीं है। बेग कहते हैं, इस बार दिवाली भी नवंबर के मध्य में पड़ रही है। इस दौरान तारीखों पर ज्यादा चर्चा होगी और पराली निकलने का सीजन भी अपने चरम पर होगा। दूसरा, पूरी तरह से बैन न होने के बावजूद फिल्मों पर बैन नहीं लगता।
दिल्लीवासी थोक विक्रेताओं से खरीदते और बेचते हैं। दिवाली के आसपास भी प्रदूषण ज्यादा हो सकता है। स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष (मौसम विज्ञान, जलवायु और परिवर्तन) महेश पलावत के अनुसार, अल नीनो सीज़न के दौरान हवाएँ काफी शुष्क रह सकती हैं। इसका असर मध्य अक्टूबर से दिखने लगा है। इसलिए इस बार इसे प्रोटोटाइप के तौर पर प्लास्टिक से ही बनाया जाएगा।
उन्होंने यह भी बताया कि अल नीनो में समुद्र की सतह सामान्य से अधिक गर्म हो जाती है और ला नीनो में समुद्र की सतह सामान्य से अधिक गर्म हो जाती है। वहां से दिखाई देने वाली विशेषताएं समुद्र की गर्म सतह के कारण हैं। पलावत की हवा की दिशा भी उत्तर पश्चिमी हो गई है और पराली फटने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। ऐसे में दिल्ली की हवा ‘खराब’ श्रेणी में पहुंच जाएगी।
राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण की निगरानी और संबंधित टीएचए की देखभाल के लिए दिल्ली सरकार के नियंत्रण केंद्र के रूप में काम करने वाले ‘ग्रीन वॉर रूम’ पर मंगलवार से चौबीसों घंटे काम शुरू हो गया है। इस कार्य की जानकारी पर्यावरण विभाग के अधिकारियों ने साझा की। ‘ग्रीन वॉर रूम’ 2020 में लॉन्च किया गया था और इसमें विमान निगरानी उपकरण हैं। विशेषज्ञों की एक टीम पैमाने और डेटा बेंचमार्क पर काम करती है। एक अधिकारी ने कहा, ‘ग्रीन वॉर रूम पूरे साल काम करता है, लेकिन मंगलवार से यह हर दिन 24 घंटे काम करना शुरू कर देगा।’ शुक्रवार को 15-पॉइंट स्टॉक जारी किया गया था।
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