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Delhi Pollution: दिल्ली में जगह-जगह मलबा डालने वाले सुधर जाएं, 254 लोगों पर लगा लाखों रुपये का जुर्माना

• LAST UPDATED : November 11, 2023

India News(इंडिया न्यूज़), Delhi Pollution: एमसीडी के विंटर एक्शन प्लान के तहत सबसे ज्यादा जोर मलबे से उड़ने वाली धूल और मिट्टी को नियंत्रित करने पर है। इधर-उधर मलबा डालने वालों पर सख्त कार्रवाई की जा रही है। पिछले 36 दिनों में इधर-उधर मलबा फेंकने पर 254 लोगों का चालान किया गया है और करीब 46 रुपये का जुर्माना लगाया गया है।

बनाई गई हैं 517 निगरानी टीमें

दिल्ली के 13 प्रदूषण हॉटस्पॉट में से प्रत्येक के आसपास एंटी-स्मॉग गन लगाई जाएंगी। प्रदूषण फैलाने वालों पर कार्रवाई के लिए 517 निगरानी टीमें बनाई गई हैं। टीम में एमसीडी के 1119 कर्मचारी और अधिकारी शामिल हैं। मलबा डालने वालों को पकड़ने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए 12 अलग-अलग जोन में 215 टीमें बनाई गई हैं। दिन के लिए 114 टीमें हैं, जिनमें कुल 323 कर्मी और अधिकारी शामिल हैं।

रात के लिए 101 टीमें हैं। इसमें 236 कर्मचारी एवं अधिकारी हैं। खुले में कूड़ा जलाने वालों पर कार्रवाई के लिए दिन में गश्त के लिए 178 टीमें और रात में गश्त के लिए 124 टीमें हैं। टीम में दिन-रात मिलाकर कुल 560 कर्मचारी व अधिकारी हैं। टीम ने पिछले 36 दिनों में इधर-उधर मलबा फेंकने वाले 254 लोगों के खिलाफ करीब 46 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।

दिल्ली के प्रदूषण हॉटस्पॉट पर एंटी स्मॉग गन लगाई जाएंगी

दिल्ली के उन 13 स्थानों (प्रदूषण हॉटस्पॉट) में से प्रत्येक पर एंटी-स्मॉग गन लगाई जाएंगी, जहां धूल प्रदूषण की समस्या सबसे अधिक है। PWD ने एमसीडी को 60 एंटी-स्मॉग गन दी हैं। धूल प्रदूषण की सबसे बड़ी समस्या आनंद विहार में है। इसलिए यहां अधिकतम 12 एंटी स्मॉग गन लगाई जाएंगी। इसके अलावा 35 निर्माण स्थलों पर 71 एंटी-स्मॉग गन लगाई जाएंगी।

आख़िर लोग ख़ुद आगे क्यों नहीं आते?

एक निश्चित शुल्क पर उन्हें अपने निपटान में रखा जा सकता है। आप घर से ही मलबा इकट्ठा कर सकते हैं। इसके बावजूद लोग मलबे की जानकारी देने के बजाय उसे सड़क किनारे फेंक देते हैं और चालान काटने का जोखिम उठाते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि लोगों को डर है कि अगर निगम अधिकारियों को मकान निर्माण की जानकारी मिल गई तो न केवल उनके मकान के नक्शे आदि के बारे में पूछताछ की जाएगी, बल्कि उसमें कमियां पाए जाने पर उनसे जुर्माना भी वसूला जा सकता है। इस कारण वे निगम को जानकारी देने से बचते हैं।

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