India News(इंडिया न्यूज़), Delhi Pollution: दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केजरीवाल सरकार को फटकार लगाई और कहा कि हमारे हस्तक्षेप के बाद ही यह हर साल बढ़ता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सिर्फ जमीनी स्तर पर उपायों को लागू करना चाहते हैं। जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि पराली जलाने का एक बड़ा कारण पंजाब में धान की एक खास किस्म की खेती है। किसानों को अन्य फसलों के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है। फिर भी पराली जलाने से रोकना जरूरी है।
बढ़ते प्रदूषण में पराली जलाने की भूमिका पर एमिकस अपराजिता सिंह ने कहा कि कुल प्रदूषण में फसल अवशेष जलाने का योगदान 24% है, जबकि कोयला और फ्लाई ऐश 17% प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं। वहीं, कुल प्रदूषण का 16% हिस्सा वाहनों से फैलता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘हर कोई प्रदूषण के स्रोतों के बारे में जानता है, वे (सरकारें) अदालत के हस्तक्षेप का इंतजार कर रहे हैं। हमारे पास हर समस्या का समाधान है, लेकिन कोई कुछ नहीं कर रहा। कोर्ट खुद कहता है कि हम नतीजे चाहते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम ये नहीं कह रहे कि ये आसान मामला है। राज्य सरकारों को ये करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, क्या आप चाहते हैं कि हम यह आदेश पारित करें कि सभी राज्य सरकार के अधिकारी बिना मास्क के काम करें। तभी उन्हें आम जनता के स्वास्थ्य के बारे में पता चलेगा।
कोर्ट ने पंजाब सरकार से कोर्ट के आदेशों को लागू करने को कहा। हम प्रदूषण के कारण लोगों को मरने नहीं दे सकते। SC ने कहा, सवाल उठता है कि किसान केवल बासमती धान की फसल ही क्यों उगाते हैं? पंजाब सरकार किसान संगठन से बात क्यों नहीं करती? उनका संगठन बहुत सक्रिय है। राज्य सरकार को किसानों से बात करनी चाहिए। राज्य सरकारों को तय करना चाहिए कि प्रदूषण कैसे कम किया जाएगा।
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