India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Delhi Private Schools: दिल्ली के 18 स्कूलों ने फीस बढ़ा दी है, जिससे अभिभावकों को वित्तीय बोझ बढ़ा है। इस मुद्दे पर सतर्कता निदेशालय ने शिक्षा निदेशक को पत्र लिखा है, और उनसे जवाब मांगा है। साथ ही, ईडब्ल्यूएस कोटा को न भरने की भी जांच होगी। शिक्षा निदेशालय ने मंगलवार को 18 स्कूलों और पांच प्राइवेट, गैर सहायता प्राप्त संस्थानों के फीस में वृद्धि के मामले में विसंगतियों की जांच के लिए शिक्षा निदेशक को एक पत्र लिखा है। कुछ स्कूल आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के बच्चों का 25 प्रतिशत कोटा भरने में असफल रहे। उन्होंने ये बात हाईलाइट की है कि नियमों के अनुसार नहीं चला गया और फीस में बढ़ोतरी की गयी है।
हम आपको बता ददें कि इस जांच में यह भी पता चला कि कुछ स्कूलों ने पूर्वव्यापी फीस वृद्धि का आदेश दिया था, जिससे अभिभावकों पर अनुचित वित्तीय दबाव पड़ा। इससे उभरता है कि स्कूल मैनेजमेंट ने नियमों की उल्लंघन की है और अपने हित के लिए माता-पिता पर बोझ बढ़ाकर खुद को समृद्ध करने का प्रयास किया है। जांच में यह भी सामने आया कि इन स्कूलों ने फंड्स का उपयोग दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम और नियम, 1973 के विपरीत किया है।
शिक्षा निदेशालय ने 2010-2011 के बाद से फीस स्ट्रक्चर के लिए निर्देश जारी किए थे। उनकी सर्कुलर में डीओई ने कहा था कि यदि किसी स्कूल को फीस में वृद्धि की आवश्यकता होती है, तो सबसे पहले उन्हें अभिभावकों के विश्वास में लेना होगा। इसके लिए, स्कूल को चयनित माता-पिता-शिक्षक समिति के सामने फाइनेंशियल स्टेटमेंट के साथ फीस वृद्धि का प्रस्ताव पेश करना होगा, और मैनेजिंग कमेटी की मंजूरी के बाद ही इसे लागू किया जा सकेगा।
स्कूलों में फीस बढ़ोतरी के आदेश की तारीख 14 दिसंबर, 2023 थी। शिक्षा विभाग से अनुरोध किया गया है कि वह 2019-2024 के विभिन्न सत्रों के लिए फीस बढ़ोतरी के मामलों का विवरण प्रस्तुत करें, और स्पष्ट करें कि नियमों के बार-बार उल्लंघन के बावजूद बढ़ोतरी को मंजूरी क्यों दी गई। इसके अलावा, ईडब्ल्यूएस एडमिशन की भी जांच होगी। डीओई सर्कुलर में कहा गया है कि जिला शिक्षा उप निदेशक ईडब्ल्यूएस प्रवेश प्रक्रिया के दौरान पर्यवेक्षक (ऑब्जर्वर) के रूप में काम करने के लिए वाइस प्रिंसिपल के पद से नीचे के अधिकारी को नामित नहीं किया जाएगा।
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