India News (इंडिया न्यूज़) : दिल्ली दंगों के मास्टरमाइंड (जेएनयू) के पूर्व छात्र उमर खालिद की मुश्किलें बढ़ गई है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका 4 सप्ताह के लिए स्थगित कर दी है। सामने आई रिपोर्ट के अनुसार, न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला त्रिवेदी की पीठ ने सुनवाई स्थगित करते हुए कहा कि मामले में विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता है। साथ ही उच्चतम न्यायालय ने खालिद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से इस मामले में दस्तावेज पेश करने को कहा है।
बता दें, उम्र खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने सिब्बल से कहा, ‘इस मामले को चार सप्ताह के बाद सूचीबद्ध करें। इस मामले में हमें दस्तावेज-दर-दस्तावेज चाहिए। आपको हमें दिखाना होगा कि कौन से सबूत उपलब्ध हैं और यह आपके खिलाफ लगाए गए आरोपों से कैसे मेल नहीं खाते।’ इसपर कोर्ट में उम्र के वकील सिब्बल ने कहा कि यूएपीए के कुछ प्रावधान, जिनमें आतंकवाद, आतंकवादी कृत्य के लिए धन जुटाना और साजिश से संबंधित प्रावधान शामिल हैं, उमर खालिद के मामले में लागू नहीं होते हैं।
बता दें, जेएनयू के पूर्व छात्र उम्र खालिद ने अक्टूबर 2022 के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। इससे पहले उन्होंने मार्च 2022 में ट्रायल कोर्ट द्वारा उनकी जमानत याचिका खारिज किए जाने को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
मालूम हो, फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के पीछे कथित साजिश से संबंधित यूएपीए मामले में सितंबर 2020 में दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद को गिरफ्तार किया था। इसके बाद खालिद ने उच्च न्यायालय में इस आधार पर जमानत मांगी थी कि शहर के उत्तर-पूर्व इलाके में हिंसा में उसकी न तो कोई ‘आपराधिक भूमिका’ थी और न ही किसी अन्य आरोपी के साथ उसका कोई ‘षड्यंत्रकारी संबंध’ था। वहीँ, दिल्ली पुलिस ने खालिद की जमानत याचिका का विरोध किया था। पुलिस ने उमर पर आपराधिक साजिश, दंगा, गैरकानूनी सभा के साथ-साथ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की कई धाराओं के गंभीर आरोप लगाए गए थे।
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