India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Delhi School Bomb Threat: दिल्ली-एनसीआर के 200 से ज्यादा स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी देने वाले ईमेल भेजने में फ्रांस की एक कंपनी के क्लाउड का इस्तेमाल किया गया है। क्लाउड का इस्तेमाल करने के लिए ऑनलाइन पेमेंट करने वाले व्यक्ति की जानकारी जुटाई जा रही है।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने सीबीआई के जरिए इंटरपोल से इस बारे में जानकारी मांगी है। रोहिणी डीसीपी गुरु इकबाल सिंह सिद्धू के नेतृत्व में साइबर पुलिस भी मामले की जांच कर रही है। पुलिस ने इसके लिए साइबर एक्सपर्ट इंजीनियर की सेवाएं भी ली हैं। रोहिणी साइबर पुलिस को टेलीग्राम चैनल पर ईमेल का नाम मिला। इस चैनल की मदद से की गई जांच में पता चला है कि ईमेल भेजने के लिए क्लाउड को फ्रांस की कंपनी स्केलवे से किराए पर लिया गया था।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि क्लाउड का भुगतान क्रेडिट-डेबिट कार्ड, इंटरनेट बैंकिंग और वर्चुअल करेंसी के जरिए किया जाता है। अगर भुगतान करने वाले व्यक्ति की जानकारी मिल जाती है तो आरोपी तक पहुंचा जा सकता है। पुलिस ने क्लाउड का इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति के बारे में फ्रांस की कंपनी से जानकारी मांगी है।
जांच में पता चला है कि ईमेल भेजने के लिए अस्थायी ईमेल के तौर पर tempel.com पर आईडी बनाई गई थी। वहीं, GUFUM.com पर रिकवरी ईमेल बनाया गया था। पुलिस ने रूसी सर्वर को भी ईमेल भेजकर जानकारी मांगी है। जांच में यह भी पता चला है कि ईमेल में भेजी गई सामग्री अलग-अलग वेबसाइट से चुराई गई थी। पुलिस ने उन वेबसाइट को भी ढूंढ लिया है, लेकिन अभी तक पुलिस ईमेल भेजने वाले तक नहीं पहुंच पाई है।
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दिल्ली में एक मई की घटना से सबक लेते हुए शुक्रवार को संसद भवन समेत महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों में आपात स्थिति से निपटने के लिए मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि संसद भवन, होटल ताज मान सिंह और नई दिल्ली क्षेत्र के राजीव चौक मेट्रो स्टेशन पर आतंकी हमले से निपटने की स्थिति का अभ्यास किया गया। इसके अलावा पूसा इंस्टीट्यूट, झंडेवालान मंदिर, कश्मीरी गेट मेट्रो स्टेशन और किरोड़ीमल कॉलेज में भी यह मॉक ड्रिल आयोजित की गई।
मामले की जांच कर रही आईएफएससीओ इकाई के पुलिस अधिकारी ने बताया कि सीबीआई के जरिए इंटरपोल से संपर्क किया गया है। अब आगे की जांच इंटरपोल से मिलने वाले जवाब पर निर्भर है। जब तक रूसी सर्वर और फ्रांस का क्लाउड आईपी एड्रेस नहीं देता, तब तक ईमेल भेजने वाले का पता नहीं चल पाएगा। पुलिस ने उन वेबसाइट को भी ढूंढ लिया है, लेकिन अभी तक पुलिस ईमेल भेजने वाले तक नहीं पहुंच पाई है।
क्लाउड एक डाटा स्टोरेज सिस्टम है। इसमें किसी व्यक्ति विशेष के कंप्यूटर का डाटा यह सेवा देने वाली कंपनी के सर्वर पर उपलब्ध रहता है। इसका उपयोग करने के लिए कंप्यूटर को इंटरनेट की आवश्यकता होती है। कोई भी व्यक्ति अपने महत्वपूर्ण कार्य जैसे ई-मेल आदि को क्लाउड के माध्यम से भेज सकता है। यह जानकारी कंप्यूटर की हार्ड डिस्क में संग्रहीत नहीं होती है, इसलिए डेटा चोरी होने की कोई संभावना नहीं है।
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