India News Delhi(इंडिया न्यूज़), Delhi Schools: एक आरटीआई के तहत खुलासा हुआ है कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के 2000 से अधिक पद पिछले दस सालों से खाली पड़े हुए हैं, जो दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण संकट का संकेत देता है। यह खुलासा आपत्तिजनक है, विशेषकर जब सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन के बड़े-बड़े दावे किए हैं। इससे स्पष्ट होता है कि सरकार के दावों और वास्तविकता के बीच अंतर है।
RTI के तहत दिल्ली के विभिन्न सरकारी स्कूलों में पिछले 10 सालों में 5747 स्थायी शिक्षकों ने अपने पदों से इस्तीफा दिया है, जबकि उनके बदले में केवल 3715 पदों पर ही नए शिक्षकों को नियुक्ति दी गई है। इन स्थायी शिक्षकों के पदों की रिक्ति उनके पेंशन, इस्तीफे, निधन, शैक्षणिक रूप से सेवानिवृत्ति और अन्य कारणों से हुई है।
इस जानकारी के अनुसार, 2014 से 2023 तक कुल 5747 शिक्षकों ने सरकारी विद्यालयों को छोड़ा है। इन सालों में शिक्षकों की संख्या में वृद्धि भी देखी गई है, जैसे कि 2014 में 448 शिक्षकों ने स्कूलों को छोड़ा, जबकि 2023 में यह संख्या 950 तक पहुँच गई है।
पिछले दस सालों में दिल्ली के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के 5747 पद रिक्त हो गए हैं, लेकिन इस अवस्था के बावजूद भर्तियों की संख्या में वृद्धि भी देखी जा रही है। 2014 में नौ स्थायी शिक्षकों की, 2015 में आठ, 2016 में 27, 2017 में 668, 2018 में 207, 2019 में 1576, 2020 में 127, 2021 में 42, 2022 में 931 और 2023 में 120 शिक्षकों की भर्ती हुई। फिर भी 2032 पद अभी भी रिक्त हैं।
आरटीआई के अनुसार, दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 12 फरवरी 2024 तक कुल 15,021 गेस्ट टीचर्स (अतिथि शिक्षक) काम कर रहे हैं। यह संख्या भी बताती है कि शिक्षा क्षेत्र में भर्ती की आवश्यकता की कमी अभी भी है।
ऑल इंडिया पैरेंट्स एसोसिएशन” के अध्यक्ष और वरिष्ठ वकील अशोक अग्रवाल ने उज्ज्वलता डालते हुए कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट ने 2001 में एक आदेश में शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत में विद्यालयों में शिक्षकों की रिक्ति शून्य होनी चाहिए इसे व्यक्त किया था, लेकिन 23 वर्षों के बाद भी दिल्ली के सरकारी स्कूलों में हजारों पद खाली हैं या उन पर गेस्ट टीचर्स काम कर रहे हैं। अग्रवाल ने जाहिर किया कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 15 से 20 फीसदी स्थायी शिक्षक मातृत्व अवकाश, अध्ययन अवकाश, मेडिकल लीव, आदि के चलते किसी न किसी कारण से छुट्टी पर रहते हैं। उन्होंने कहा कि स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति एक गंभीर विषय है और सरकार को कम से कम 10 फीसदी अतिरिक्त शिक्षकों की भर्ती करनी चाहिए।
एक सरकारी स्कूल के स्थायी शिक्षक ने बताया कि कुछ समय पहले तक उनके स्कूल का 10वीं और 12वीं का रिजल्ट सौ फीसदी था, लेकिन अब यह 47 प्रतिशत तक घट गया है। इसकी वजह शिक्षकों की अधिक कमी है।
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