India News(इंडिया न्यूज़),Delhi University: हाल ही में दिल्ली विश्वविद्यालय ने विभिन्न श्रेणियों के तहत अपना वार्षिक शुल्क 46 प्रतिशत बढ़ाकर 2,350 रुपये कर दिया है। जिसके बाद कई शिक्षकों ने आरोप लगाया है कि यह छात्रों की जेब से उच्चतर शिक्षा वित्तपोषण एजेंसी (एचईएफए) फंड पर ब्याज चुकाने के लिए पैसा निकालने का एक प्रयास है। इस विषय पर दिल्ली विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार विकास गुप्ता को किये गए फोन, और भेजे गए संदेश का उनकी ओर से अब तक कोई जवाब नहीं मिला है। वाइस चांसलर योगेश सिंह ने अक्टूबर में “पीटीआई-भाषा’ को बताया था कि एजेंसी द्वारा 930 करोड़ रुपये के फंड को मंजूरी दी गई थी।
विश्वविद्यालय ने 7 जून को जारी एक आधिकारिक परिपत्र में सूचित किया था कि शैक्षणिक वर्ष 2023-24 से यून्वर्सिटी सुविधाओं और सेवाओं के लिए चार्ज दोगुना कर 1,000 रुपये कर दिया गया है।
विश्वविद्यालय ने अपने छात्रों के वेलफेयर फंड के चार्ज को भी दोगुना करके 200 रुपये कर दिया है, जबकि अपने विकास फंड के शुल्क को पिछले साल जून में संशोधित कर 900 रुपये से 10 प्रतिशत से अधिक बढ़ाकर 1,000 रुपये कर दिया था।
नए शैक्षणिक वर्ष के लिए आर्थिक रूप से कमजोर(EWS) वर्ग सहायता विश्वविद्यालय निधि के लिए वार्षिक शुल्क को भी संशोधित कर 150 रुपये कर दिया गया है। पिछले साल जुलाई में अधिसूचित वार्षिक शुल्कों में पिछली बढ़ोतरी के बाद एक साल के अंदर यह दूसरी बढ़ाया गया है।
डीयू के एक प्रोफेसर ने बताया, “विभिन्न विकास परियोजनाओं को शुरू करने के लिए, विश्वविद्यालय अब एचईएफए से विश्वविद्यालय द्वारा लिए गए ऋण पर ब्याज चुकाने के लिए छात्रों की फीस बढ़ा रहा है. यह पूरी तरह से केंद्रीय विश्वविद्यालय की वहनीय शिक्षा व्यवस्था के खिलाफ एक कदम है, जिससे बहुत से छात्रों के लिये उच्चतर शिक्षा हासिल करना मुश्किल हो गया है।”
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