India News(इंडिया न्यूज़), Delhi: दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले सप्ताह पुलिस वैन से कूदकर घायल हुए एक व्यक्ति को राजधानी के चार अस्पतालों में इलाज नहीं मिलने के मुद्दे को गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने राजधानी में बुनियादी मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी को लेकर जवाब मांगा है। इस संबंध में केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया गया है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई के लिए अगली तारीख 29 जनवरी तय की है। इससे पहले प्रतिवादी केंद्र और राज्य सरकार को जवाब दाखिल करना होगा। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने केंद्र और राज्य सरकार से कई सवाल पूछे।
पीठ ने उनसे यह बताने को कहा कि अस्पताल राजधानी में बढ़ती आबादी के साथ तालमेल क्यों नहीं बिठा रहे हैं। पीठ ने यह भी कहा कि दिल्ली में दुर्घटना का शिकार हुए व्यक्ति से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि उसे इलाज नहीं मिलेगा। पीठ के समक्ष याचिका दायर करने वाले वरिष्ठ वकील अशोक अग्रवाल ने सुनवाई के दौरान कहा कि पुलिस हिरासत में रहने वाले व्यक्ति को इलाज नहीं मिल सकता है। आपको बता दें कि चार अस्पतालों में इलाज के अभाव में प्रमोद की मौत हो गई। वहीं, दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा का कहना है कि दिल्ली बीजेपी पिछले नौ साल से पूछ रही है कि दिल्ली सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र में क्या किया है, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
पीठ ने दिल्ली सरकार से रिपोर्ट मांगी कि पिछले पांच साल में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए कितनी राशि बढ़ाई गई। पीठ ने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि इस क्षेत्र में पहले क्या सुधार हुए हैं। वहीं, मामले की सुनवाई के दौरान बेंच के सामने यह बात भी उठी कि अस्पताल को फंड दिलाने की बजाय छोटे प्रोजेक्ट्स में ज्यादा निवेश किया गया। पीठ ने केंद्र और राज्य सरकारों को एक पोर्टल बनाने की सलाह दी जो अस्पतालों में उपलब्ध बिस्तरों और अन्य सुविधाओं के बारे में वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करेगा।
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