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Delhi’s Budget Is Anti-Poor : दिल्ली का बजट गरीब विरोधी, दलित विरोधी, युवा विरोधी झूठ का पुलिंदा : अनिल कुमार

• LAST UPDATED : March 26, 2022

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :

Delhi’s Budget Is Anti-Poor : वित्त वर्ष 2022-23 के बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए शनिवार को कांग्रेस दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अनिल चैधरी ने कहा कि केजरीवाल सरकार का यह बजट रोजगार बजट नहीं बल्कि युवा बेरोजगारों के जले पर नमक छिड़कने वाला गरीब विरोधी बजट है।

उन्होंने कहा कि बजट में दलित उत्थान, महंगाई पर नियंत्रण के लिए कोई प्रावधान नहीं रखा गया है। दिल्ली में 15,34,832 युवा बेरोजगार हैं परंतु केजरीवाल सरकार युवाओं को जब तक रोजगार नहीं देती। उन्हें बेरोजगारी भत्ता देने का कोई प्रावधान भी बजट में नहीं किया और वित्त मंत्री 20 लाख रोजगार देने की खोखली घोषणा कर रहे।

राजधानी में रोजगार के लिए सिर्फ 800 करोड़, अपने आप में है संदेह Delhi’s Budget Is Anti-Poor

Delhi's Budget Is Anti-Poor

अनिल चैधरी ने कहा कि राजधानी में रोजगार के लिए सिर्फ 800 करोड़ आवंटित करना अपने आप में संदेह है। इस दौरान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने मांग की कि सरकार ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना की तर्ज पर शहरी रोजगार गारंटी योजना के तहत न्याय योजना के अंतर्गत 7000 रुपए प्रतिमाह का भत्ता दें। उन्होंने कहा कि सरकार रोजगार देने की घोषणा कर रही है परंतु 64 हजार अनुबंधित कर्मचारी जिनमें गेस्ट टीचर और आंगनबाड़ी कर्मचारी भी शामिल है उनके नियमित करने संबधी कोई घोषणा नहीं की।

राशन कार्ड के लिए नहीं की चर्चा

उन्होंने कहा कि दिल्ली में 54 लाख लोग राशन कार्ड के लिए 7 वर्षों से इंतजार कर रहे हैं, इस पर बजट में वित्त मंत्री ने कोई चर्चा नहीं की, जबकि 1 जनवरी 2014 से 31 दिसम्बर, 2021 तक एक आरटीआई के अनुसार 14 लाख 64 हजार 655 राशन कार्ड आवेदन आए हैं, जिन पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गई। अनिल चैधरी ने कहा कि दिल्लीवालों को पानी देने की उपलब्धता बढ़ाने पर केजरीवाल सरकार झूठी घोषणा कर रही है क्योंकि वर्ष 2014 में दिल्ली में पानी की उपलब्धता 50 गैलन प्रति व्यक्ति प्रतिदिन थी, जो आज घटकर 44.7 गैलन प्रति व्यक्ति रह गई।

आंकड़े को केजरीवाल सरकार नहीं झूठला सकती

उन्होंने कहा कि यह आंकड़े भारत सरकार के सर्वे के है, जिन्हें केजरीवाल झुठला नहीं सकते। केजरीवाल झूठ की बुनियाद पर सरकार और सरकारी योजनाएं चला रहे हैं वास्तविकता दिल्ली की जनता पहचान चुकी है।

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