इंडिया न्यूज़, Delhi’s Ganga Ram Hospital News : राजस्थान से दिल्ली जाने वाले रास्ते पर स्थित सर गंगा राम अस्पताल में एक 13 साल के छोटे बच्चे (श्रीकांत) की साढ़े छह घंटों की मेहतभरी सर्जरी के बाद आखिरकार बच्चे की आवाज लौटाने में डॉक्टर कामयाब हो गए। बच्चे के परिजनों का कहना था कि बच्चे ने पिछले 7 वर्षों से ना तो किसी से बात की थी और ना ही कुछ खा सकता था।
अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट, डॉ. मनीष मुंजाल के अनुसार, “जब मैंने पहली बार मरीज को देखा, तो मुझे लगा यह एक बहुत ही जटिल एयरवे और वॉयस बॉक्स सर्जरी होने है, ऐसा मामला मैंने पिछले 15 वर्षों में कभी नहीं देखा था। इस बच्चे को क्रिकॉइड और वायु पाइप (Tracheal Complex) का पूर्ण 100% स्टेनोसिस (ब्लॉकेज) था। इस बड़ी जटिलता के कारण री-एनेस्टामोसिस (फिर से सर्जरी) संभव नहीं थी। सर्जरी बहुत कठिन और चुनौतीपूर्ण थी।
इस तरह की सर्जरी की जटिलताओं को देखते हुए सर गंगा राम अस्पताल ने डिपार्टमेंट ऑफ ईएनटी, डिपार्टमेंट ऑफ थोरैसिक सर्जरी, पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर डिपार्टमेंट और डिपार्टमेंट ऑफ एनेस्थीसिया से लिए गए डॉक्टरों का एक पैनल बनाने का फैसला किया।
डॉ. सब्यसाची बाल, चेयरपर्सन, डिपार्टमेंट ऑफ थोरैसिक सर्जरी, सर गंगा राम अस्पताल के अनुसार, “हमने एयरवे के ‘क्रिको-ट्रेचियल रिसेक्शन’ को ऑपरेट करने का निर्णय लिया। यह एक जटिल और चुनौतीपूर्ण सर्जरी है जिसमें असफलता का अत्यधिक जोखिम होता है जो कभी-कभी मृत्यु दर (मृत्यु) का कारण बनता है। लेकिन इस बच्चे के पास इलाज के लिए कोई और विकल्प नहीं था और यही बात परिवार को भी बता दी गई थी।
23 अप्रैल 2022 को ऑपरेशन थियेटर के अंदर बच्चे को सर्जरी के लिए ले जाया गया। डिपार्टमेंट ऑफ ईएनटी, डिपार्टमेंट ऑफ थोरैसिक सर्जरी और डिपार्टमेंट ऑफ एनेस्थीसिया की टीमों ने साथ मिलकर साढ़े छह घंटे तक ऑपरेशन किया। डॉ. मनीष मुंजाल ने आगे कहा, “चूंकि वॉयस बॉक्स के पास 4 सेंटीमीटर एयरवे पाइप’ पूरी तरह से नष्ट हो चुकी थी और इसे फिर से प्राप्त नहीं किया जा सकता था, इसलिए हमारी पहली चुनौती एयरवे के ऊपरी और निचले हिस्सों को जितना संभव हो सके पास लाकर इस अंतर को कम करना था। इसके लिए वॉयस बॉक्स को उसकी सामान्य स्थिति से नीचे लाने के लिए ‘लेरिंजियल ड्रॉप’ प्रक्रिया की गई।”
डॉ. सब्यसाची बाल ने आगे कहा, “इसके साथ ही जब वॉयस बॉक्स को नीचे लाया जा रहा था, हमने विंड पाइप के निचले हिस्से को छाती में उसके आस-पास के अटैचमेंट से अलग किया और विंड पाइप को वॉयस बॉक्स की ओर खींच लिया।”
डॉ. मनीष मुंजाल ने कहा, “आखिरकार, सबसे महत्वपूर्ण और कठिन हिस्सा बुरी तरह से स्टेनोज्ड (अवरुद्ध) क्रिकॉइड हड्डी का ऑपरेशन करना था। यह वॉयस बॉक्स के नीचे एक घोड़े की नाल के आकार की हड्डी है जिसमें दोनों तरफ मिनट वॉइस नर्वस (minute voice nerves) होती हैं और यह मुख्य रूप से आवाज और एयरवे की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होती है।
हमने क्रिकोइड्स की हड्डी वाले हिस्से को चौड़ा करने के लिए ड्रिल की एक प्रणाली का इस्तेमाल किया। हमें लारेंजियल नर्वस (आवाज के लिए जिम्मेदार नसों) को सुरक्षित रखने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतनी पड़ी। अगर ये क्षतिग्रस्त हो जाते तो आवाज कभी वापस नहीं आती। अंत में एयरवे के ऊपरी और निचले दोनों किनारों के हिस्सों को एक साथ लाया गया और वापस जोड़ा गया। सर्जरी पूरी तरह से सफल रही, लेकिन चुनौतियां अभी भी थीं। सर्जरी के बाद प्रबंधन बहुत महत्वपूर्ण था।
डॉ. अनिल सचदेव, डायरेक्टर, पीडीऐट्रिक्स इंटेंसिव केयर, डिपार्टमेंट ऑफ पीडीऐट्रिक्स, सर गंगा राम अस्पताल के अनुसार, बच्चे की छाती में एयरवे के रिसाव का बहुत अधिक जोखिम था, जो कि भयावह हो सकता था। इसलिए बच्चे को 3 दिनों तक गर्दन के बल (ठोड़ी को छाती की ओर बंद करके) रखा गया। साथ ही, उसे लो प्रेशर ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया ताकि उसे किसी तरह का ट्रॉमेटिक एयर लीक न हो। बच्चे को 3 दिन के लिए आईसीयू में रखा गया और ठीक होने में कोई दिक्कत नहीं थी। बच्चे को अब छुट्टी दे दी गई है और उसकी हालत स्थिर है।
श्री अमित कुमार (बच्चे के पिता) के अनुसार, “अब हम बहुत खुश हैं कि हमारा बच्चा जो न तो बोल रहा था और न ही खा रहा था। स्कूल और अपने सामान्य जीवन को याद कर रहा था, अब स्कूल वापस आ गया है। बच्चे ने 7 साल बाद पहली बार बात की और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारे बच्चे ने बिना किसी बाहरी मदद के अपनी सांस ली। अब वह बिना ट्यूब के भी सामान्य रूप से खाना खा रहा है। हम सर गंगा राम अस्पताल के सभी कर्मचारियों की उनकी चमत्कारी सर्जरी के लिए बहुत आभारी हैं।