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Demolition drive in Mehrauli: प्रशासन और स्थानीय के बीच गतिरोध बरकरार, पुलिस पर जबरन लाठीचार्ज का आरोप

• LAST UPDATED : February 12, 2023

Demolition drive in Mehrauli: महरौली अतिक्रमण मामले में रविवार को भी स्थानीय और पुलिस के बीच गतिरोध बरकरार रहा। स्थानीय लोगों ने पुलिस पर आरोप लगाया कि उन्होंने जबरन मारपीट की, लाठीचार्ज किया। इस मामले पर दिल्ली पुलिस की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। अधिकारी ने कहा कि पुलिस की तरफ से कोई लाठीचार्ज नहीं हुआ, कोई घायल नहीं हुआ। वे (स्थानीय लोग) डीडीए कर्मियों और पुलिस को बाधित कर रहे थे। कुछ महिलाओं ने पुलिसकर्मियों पर लाल मिर्च पाउडर फेंका। यह तीसरा दिन है जब प्रशासन और स्थानीय लोग तनाव की स्थिति देखने को मिली। 

 

कार्रवाई डीडीए पर होनी चाहिए

स्थानीय लोगों ने कहा है कि जब वह सालों की कमाई की पूंजी लगा रहे थे, तब प्रशासन कहां थी। अब बनाए गए आशियाने को एक झटके में खत्म करना चाहते हैं। लाथा सराय गांव के महरौली पुरातत्व पार्क में चल रही कार्रवाई के विरोध में लोगों का कहना था कि निर्माण अवैध है तो इसकी जिम्मेदारी डीडीए की है। कार्रवाई डीडीए अधिकारियों पर होनी चाहिए। जिंदगीभर की जमा पूंजी लगाकर घर खरीदे हैं। मकान की रजिस्ट्री भी है और बैंक से लोन भी चल रहे हैं। अब अचानक बोला जा रहा है कि सब अवैध है। वहीं, दिल्ली के राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत ने दक्षिणी दिल्ली के जिलाधिकारी को विवादित क्षेत्र में नए सिरे से सीमांकन करने का आदेश दिया है। साथ ही, तुरंत इस बारे में डीडीए को जानकारी देने को कहा है। 

 

सीमांकन को लेकर उठ रहे सवाल

 

स्थानीय विधायक नरेश यादव ने कहा कि डीडीए की कार्रवाई में तीन से चार हजार मकान प्रभावित हो रहे हैं। इनमें से काफी घर सालों(30-40 साल) पुराने हैं। इस बारे में डीडीए से जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सीमांकन के आधार पर कार्रवाई की है। यादव ने कहा कि डीडीए ये गलत तरीके से कर रहा है। डीडीए ने अपने क्षेत्र में दीवार बना रखी है। यह मुद्दा विधानसभा में भी उठाया गया था। राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत को मालवीय नगर विधायक सोमनाथ भारती और लाडाे सराय गांव के निवासियों से दो आवेदन प्राप्त हुए। इनमें कहा गया कि डीडीए के पास संबंधित भूमि पर अतिक्रमण की पहचान करने के लिए दिल्ली के राजस्व विभाग का सीमांकन एकमात्र स्रोत है। राजस्व विभाग द्वारा किया गया सीमांकन अवैध और शून्य था। ये न तो कानून के अनुसार किया गया था और न ही इससे पहले प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किया गया था। 

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