Demolition drive in Mehrauli: महरौली डीडीए प्रशासन और स्थानीय के बीच लगातार चौथे दिन गतिरोध बरकरार रहा। प्रशासनिक अधिकारियों ने विरोध के बावजूद अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई जारी रखा। कई स्थानीय लोग कार्रवाई के बीच बुल्डोजर के सामने आकर रुकावट बनाना चाहा लेकिन सुरक्षाबलों की भारी तैनाती के बीच वह ऐसा नहीं कर सके। लोगों में कार्रवाई को लेकर गुस्सा लगातार बढ़ता जा रहा है। यहीं इसके उलट प्रशासन सख्ती के साथ कार्रवाई को आगे बढ़ा रही है। बीते दिन कार्रवाई के दौरान स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि पुलिस बलों ने उनके साथ मारपीट की, जबरन लाठीचार्ज किया, हालांकि पुलिस ने आरोप पर सफाई देते हुए कहा कि पुलिस की तरफ से कोई लाठीचार्ज नहीं हुआ, कोई घायल नहीं हुआ। वे (स्थानीय लोग) डीडीए कर्मियों और पुलिस को बाधित कर रहे थे। कुछ महिलाओं ने पुलिसकर्मियों पर लाल मिर्च पाउडर फेंका।
स्थानीय लोगों ने कहा है कि जब वह सालों की कमाई की पूंजी लगा रहे थे, तब प्रशासन कहां थी। अब बनाए गए आशियाने को एक झटके में खत्म करना चाहते हैं। लाथा सराय गांव के महरौली पुरातत्व पार्क में चल रही कार्रवाई के विरोध में लोगों का कहना था कि निर्माण अवैध है तो इसकी जिम्मेदारी डीडीए की है। कार्रवाई डीडीए अधिकारियों पर होनी चाहिए। जिंदगीभर की जमा पूंजी लगाकर घर खरीदे हैं। मकान की रजिस्ट्री भी है और बैंक से लोन भी चल रहे हैं। अब अचानक बोला जा रहा है कि सब अवैध है। वहीं, दिल्ली के राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत ने दक्षिणी दिल्ली के जिलाधिकारी को विवादित क्षेत्र में नए सिरे से सीमांकन करने का आदेश दिया है। साथ ही, तुरंत इस बारे में डीडीए को जानकारी देने को कहा है।
स्थानीय विधायक नरेश यादव ने कहा कि डीडीए की कार्रवाई में तीन से चार हजार मकान प्रभावित हो रहे हैं। इनमें से काफी घर सालों(30-40 साल) पुराने हैं। इस बारे में डीडीए से जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सीमांकन के आधार पर कार्रवाई की है। यादव ने कहा कि डीडीए ये गलत तरीके से कर रहा है। डीडीए ने अपने क्षेत्र में दीवार बना रखी है। यह मुद्दा विधानसभा में भी उठाया गया था।
राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत को मालवीय नगर विधायक सोमनाथ भारती और लाडाे सराय गांव के निवासियों से दो आवेदन प्राप्त हुए। इनमें कहा गया कि डीडीए के पास संबंधित भूमि पर अतिक्रमण की पहचान करने के लिए दिल्ली के राजस्व विभाग का सीमांकन एकमात्र स्रोत है। राजस्व विभाग द्वारा किया गया सीमांकन अवैध और शून्य था। ये न तो कानून के अनुसार किया गया था और न ही इससे पहले प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किया गया था।