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Dengue Disease: डेंगू बच्चों को जल्द बनाता है अपना शिकार, जानिए कारण

• LAST UPDATED : May 4, 2024

India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Dengue Disease: बारिश के आने का इंतजार करते हुए लोगों को अब खतरे का भी सामना करना पड़ रहा है – मच्छरों का खतरा। बिना बारिश के भी ये छोटे कीट दिन-रात लोगों को काट रहे हैं, जिससे डेंगू जैसे गंभीर बीमारी का खतरा बढ़ रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों को मच्छरों के काटने का खतरा भी डेंगू जैसी बीमारियों के मुकाबले बड़ रहा है। हम आपको दें कि बच्चों में डेंगू के घातक प्रभाव और मौत की संभावना बड़ों की तुलना में कई गुना अधिक होती है। इस समय, अगर आप अपने बच्चों को सतर्कता के साथ नहीं रखेंगे और मच्छरों के काटने को गंभीरता से नहीं लेंगे, तो इससे उन्हें अधिक नुकसान हो सकता है।

Dengue Disease: 9 वर्ष से कम के बच्चों को खतरा

5-10 साल के बच्चों को डेंगू फीवर के होने और उसके घातक होने की संभावना सबसे ज्यादा होती है। एक अध्ययन के अनुसार, लगभग 80% से भी अधिक बच्चे 9 साल से कम उम्र के होते हैं जो डेंगू के प्रभावित होते हैं। इस अध्ययन में पाया गया कि लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या अधिक है जो डेंगू के शिकार होते हैं। एक और रिसर्च ने दिखाया कि वैश्विक रूप से 5 साल से कम उम्र के बच्चों में डेंगू से मौतें अधिक होती हैं।
बच्चों में ये लक्षण दिखाई देते हैं:

  • तेज बुखार
  • उल्टी
  • दस्त
  • शरीर में दर्द
  • सदमा
  • शरीर पर चकत्ते

डेंगू का एक और कारण

एक और कारण है कि डेंगू का अपना एक चक्र होता है। यह चक्र करीब चार से पांच साल में अधिक जानलेवा या भयंकर हो जाता है। पिछले कुछ सालों में केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2017 में डेंगू के 1,88,401 मामले सामने आए थे, जिनमें से 325 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद, डेंगू के मरीजों का आंकड़ा काफी घट गया था।

Dengue Disease: क्यों है बच्चों के लिए जानलेवा

डॉ. सतपाल, एमसीडी दिल्ली के पूर्व नोडल अधिकारी और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ, बताते हैं कि बच्चों के लिए डेंगू बुखार का खतरा अधिक होता है बड़ों की तुलना में। बच्चों में अधिक मौतें डेंगू शॉक सिंड्रोम के कारण होती हैं। जब बच्चों को सदमा लगता है, तो उनके ऑर्गन्स अक्षम हो जाते हैं। वहीं, बड़े लोगों में डेंगू हेमरेजिक सिंड्रोम फेटल हो सकता है, जिसमें खून की बहुतायत नुकसान होता है। हालांकि, बच्चों की तुलना में बड़े लोगों की ताकत और संवेदनशीलता कम होती है। इसलिए, बच्चों में डेंगू के घातक होने की संभावना अधिक होती है।

  • बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बड़ों की तुलना में कम होती है, जिसके कारण उन्हें डेंगू के बुखार को झेलने में मुश्किल होती है।
  • बच्चों में डेंगू की पहचान में देरी होती है, क्योंकि वे अपनी बीमारी को सही तरीके से नहीं बता पाते, जिससे उन्हें सही इलाज नहीं मिल पाता।
  • बच्चे खुले में खेलते हैं या घर के आसपास रहते हैं, जिससे मच्छरों के काटने का खतरा बढ़ जाता है और उन्हें डेंगू संक्रमित होने का अधिक खतरा होता है।
  • बच्चों को अंदरूनी ब्लीडिंग की जानकारी नहीं होती, जिससे उन्हें हालात की गंभीरता को समझने में कठिनाई होती है।
  • डेंगू होने के कुछ दिनों बाद ही उनकी जांच कराई जाती है, जिससे उनकी बीमारी का पता चलता है, लेकिन इस देरी के कारण उनकी स्थिति गंभीर हो सकती है।

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