India News(इंडिया न्यूज़)Dengue Record: स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, दिल्ली में बाढ़ के बाद मच्छर जनित बीमारियों के मरीजों की संख्या बढ़ने की प्रबल संभावना थी, लेकिन नगर निगम हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा। अगर निगम ने कागजी कार्रवाई के अलावा जमीनी स्तर पर काम किया होता तो शायद ऐसी स्थिति कभी नहीं आई होती। निचले इलाकों में भी लोग अभी भी मच्छरों से बुरी तरह परेशान हैं।
मच्छर जनित बीमारियों के आंकड़े छुपाने के पीछे जो आशंका जताई जा रही थी वह लगभग सच साबित हो रही है। राजधानी में इस समय मच्छर जनित बीमारियों का प्रकोप चरम पर है। इतना ही नहीं, दिल्ली इस साल भी ऐसी ही स्थिति की ओर बढ़ रही है, जो साल 2015 में डेंगू के सबसे ज्यादा मामले थे, क्योंकि उसके बाद यह दूसरा सबसे खतरनाक साल है। डेंगू के आंकड़ों ने छह साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। इतना ही नहीं अब तक एक मरीज की मौत भी हो चुकी है। इस साल 1 जनवरी से 23 सितंबर तक 3,013 मरीज मिले हैं, जबकि 2015 में इसी समय में डेंगू के 5,952 केस मिले थे।
साल 2016 में 1692, 2017 में 1,807, 2018 में 481, 2019 में 282, 2020 में 212, 2021 में 341 और 2022 में 937 मरीज पंजीकृत हुए। इससे साबित होता है कि इन वर्षों में डेंगू मरीजों की संख्या कभी भी 1,807 से अधिक नहीं हुई है, जबकि इस साल यह 3,013 तक पहुंच गया है। इससे दिल्ली में मच्छर जनित बीमारियों से बनी भयावह स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। निगम के मुताबिक एक मरीज की मौत हो गई है, वह कमला नगर का रहने वाला था। यह मौत जुलाई में ही हुई थी, जिसे निगम ने अगस्त में डेथ ऑडिट रिपोर्ट कमेटी में मंजूरी दे दी थी।
दिल्ली में बाढ़ के बाद मच्छर जनित बीमारियों के मरीजों की संख्या बढ़ने की प्रबल संभावना थी, लेकिन निगम हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा। अगर निगम ने कागजी कार्रवाई के अलावा जमीनी स्तर पर काम किया होता तो शायद यह स्थिति नहीं होती। निचले इलाकों में भी लोग अभी भी मच्छरों से परेशान हैं। वहीं नालियों की ठीक से सफाई नहीं होने के कारण मच्छर जनित बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। एमसीडी के नेता सदन मुकेश गोयल ने कहा कि निगम अधिकारियों को जी20 के नाम पर मच्छर जनित बीमारियों के आंकड़े जारी नहीं करने का निर्देश केंद्र सरकार की ओर से आया था। निगम के पास पर्याप्त दवाएं हैं और अधिकतम फॉगिंग भी हो रही है।