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Digital Arrest Case: डिजिटल अरेस्ट के बहाने करती थी ठगी, धोखाधड़ी का ये तरीका सुन चौंक जाएंगे आप

• LAST UPDATED : May 28, 2024

India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Digital Arrest Case: गाजियाबाद से डिजिटल अरेस्ट के बहाने करोड़ों रुपये की ठगी करने वाली गिरोह की महिला को दक्षिणी पश्चिमी जिला पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इस गिरोह के तीन शातिर आरोपी भी गिरफ्तार हो चुके हैं। उन्होंने अपनी झूठी कहानी के तहत महिला से नौ लाख रुपये ठगे थे। इन आरोपितों ने देशभर में एक करोड़ से ज्यादा की ठगी की वारदात को अंजाम दिया था।

उपायुक्त रोहित मीना ने बताया कि इस महिला जालसाज की पहचान गाजियाबाद के इंदिरापुरम स्थित वैभव खंड साया गोल्ड एवेन्यू सोसाइटी निवासी सुधा श्रीवास्तव के रूप में हुई है। यहां से ही वह देशभर के लोगों के साथ ठगी कर रही थी। गिरोह में आरोपिता के तीन और साथी शामिल हैं, जिनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस कार्रवाई कर रही है। अभी तक उनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है, लेकिन सुधा से उनके ठिकानों के बारे में पूछताछ की गई है, ताकि उनकी गिरफ्तारी की प्रक्रिया शीघ्र हो सके।

Digital Arrest Case: जानिए पूरा मामला

पुलिस की पूछताछ में सामने आया कि गिरोह ने एक महिला से मिलकर उसे वसंत कुंज में रहने का झूठ बोलकर उसे ठगा। उन्होंने महिला को काल करके बताया कि एक पार्सल उसके नाम से ताइवान से आया है और उसमें नशीले पदार्थ और प्रतिबंधित चीजें हैं। महिला ने पार्सल को ताइवान भेजने से इंकार किया, तो उन्होंने अपने आप को मुम्बई क्राइम ब्रांच के अधिकारी बताकर उसे धमकाया। फिर, वे महिला से नौ लाख रुपये का ठगी किया। इसमें उनके दो साथी भी शामिल हैं।

ऐसे पकड़ी गयी महिला

साइबर थाना पुलिस ने एक महिला की शिकायत पर केस दर्ज करके जांच की शुरुआत की। इस जांच के दौरान, पुलिस ने उन बैंक खातों की जानकारी जुटाई, जिनमें ठगों ने पैसे ट्रांसफर किए थे। जांच के परिणामस्वरूप, पुलिस को पता चला कि एक खाता महाराष्ट्र के नागपुर स्थित व्यक्ति के नाम पर है, जबकि दूसरा सुधा के नाम पर है। पुलिस ने संदिग्धों के अलग-अलग पतों पर कानपुर, लखनऊ, और गाजियाबाद में छापेमारी की। इस छापेमारी के दौरान, 52 वर्षीय सुधा को गाजियाबाद से गिरफ्तार किया गया। सुधा के दोनों मोबाइल फोन में ठगी के संबंध में डेटा मिला है।

Digital Arrest Case: ऐसे करते थे ठगी

गिरोह के चालाक सदस्य दिनभर अलग-अलग लोगों को काल करते रहते थे। जब कोई उनके झांसे में आ जाता, तो वे उससे लाखों रुपये के ठगी का शिकार बना लेते थे। आरोपित व्यक्ति अक्सर खुद को कस्टम या मुंबई क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताते, और पीड़ितों को धोखा देते। उन्हें कहा जाता कि उनके नाम से ताइवान से एक पार्सल आया है, जिसमें नशीली दवाएं, फर्जी पासपोर्ट, और अन्य प्रतिबंधित आइटम हैं। फिर वे पीड़ित से लाखों रुपये लेते, उन्हें जालसाज केस से बाहर निकालने का या एनओसी, ट्रैकिंग, और पुलिस क्लियरेंस के बहाने।

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