Driving License Rules Update:
नई दिल्ली। अगर आपको राजधानी दिल्ली में अपना ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना हैं तो इसके लिए आपको ऑटोमेटेड टेस्ट ट्रैक पर टेस्ट देना पड़ता है। जहां आपको एक गाड़ी चलाकर दिखाना पड़ता है, जो लोग इस टेस्ट को पास कर जाते है, उन का डीएल बना दिया जाता है। लेकिन ऑटोमेटेड टेस्ट ट्रैक पर टेस्ट देना बिल्कुल भी आसान नहीं होता है। इस टेस्ट में कम से कम 50 फीसदी लोग फेल हो जाते हैं। लेकिन ट्रांसपोर्ट विभाग ने लोगों की परेशानी को देखते हुए टेस्ट की प्रक्रिया में कुछ बदलाव किए हैं। टेस्ट में आए बदलावो का सोमवार से लागू कर दिया गया है।
टेस्ट देना अब और भी आसान
ट्रांसपोर्ट विभाग का कहना है कि, इस टेस्ट में सभी बदलाव रोड सेफ्टी के नियमों को ध्यान में रखकर किए गए है। दायरे में रहकर किए गए हैं। बदलाव के बाद टेस्ट की टाइमिंग को थोड़ा बढ़ा दिया गया है। इसके अलावा पीली लाइन को टच करने पर अब फेल नहीं माना जाएगा। इसके साथ ही टू वीलर चालकों के टेस्ट की प्रक्रिया में भी कुछ मामूली बदलाव करे गए है।
टेस्ट में किए गए सुधार और बदलाव
- ड्राइविंग स्किल टेस्ट के लिए रोजाना करीब 3000 स्लॉट्स होते हैं।
- इसमें से 12 ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक दिल्ली में लगाए जाते हैं।
- कार के लिए आया नया क्राइटेरिया
- टेस्ट के पहले आवेदक को सीट बेल्ट लगाने के लिए बताना होगा।
- बूम बैरियर्स खुले रखे जाएंगे।
- रिवर्स (S) के लिए
ग्रैडिएंट नियम
- अगर आप येलो लाइन पार करते है और गलत तरीके से गाड़ी रोकते है तो आप फेल हो जाएंगे।
- इस टेस्ट को 90 सेकंड में करना होगा।
- यदि आप 12 की जगह 18 इंच पीछे चले जाते है, तो आप फेल फेल हो जाएंगे।
टू वीलर के लिए क्या है क्राइटेरिया
- अब आप जमीन पर दो बार पैर टच कर सकते हैं।
- आखिरी सर्कल की चौड़ाई पहले दो सर्कलो के बराबर होगी।
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