Drone to Destination:
नई दिल्ली: मानव अंगों के ट्रांसप्लांट के लिए हॉस्पिटल परिसर से बाहर भेजने के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली ग्रीन कॉरिडोर की जगह ड्रोन के इस्तेमाल की संभावना खोज रहा है। ऐसा करने के लिए प्रयास शुरू कर दिए गए हैं।
एम्स ट्रामा ये कोशिश कर रहा है कि इस सेवा को अगले 6 से 8 माह शुरू कर दिया जाए। संभावना है कि संजीवनी योजना के तहत सेवाओं को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर (एनआईसी), झज्जर से शुरू किया जाए। इस सुविधा में एम्स में होने वाले अंगदान के तहत प्राप्त अंगों का परिवहन ड्रोन के माध्यम से किया जाएगा। यह सुविधा शुरू होने के बाद अंगों को भेजने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। बता दें कि ड्रोन 160 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चलेगा।
जगह वायु मार्ग से अंगों को भेजने से परिवहन में कम समय लगेगा। एम्स ट्रामा सेंटर में न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ. दीपक अग्रवाल ने एक लेक्चर में बताया कि एम्स ड्रोन के द्वारा जीवित अंगों के परिवहन करने की दिशा में काम करने में लगा हुआ है। यह काम संजीवनी योजना के तहत चल रहा है। इसके तहत ट्रांसप्लांट के लिए मानव अंगो को एम्स से बाहर भेजा जाएगा।
हर महीने एम्स ट्रामा में 2 से 3 अंगदान होते हैं। एनओटीटीओ के नियम के अनुसार जरूरतमंद मरीजों में अंग ट्रांसप्लांट किए जाते हैं। अंगदान को बढ़ावा देने के लिए एम्स जागरूकता का अभियान चला रहा है। इसके अलावा बेहतर प्रबंधन के लिए सुविधाओं को अपग्रेड किया जा रहा है। इसके लिए फैकल्टी को ट्रेनिंग दी जा रही है।
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