India News(इंडिया न्यूज़)Earthquake Tremors: दिल्ली-एनसीआर के साथ-साथ उत्तर भारत के कई इलाकों में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। भूकंप का केंद्र नेपाल में था। भूकंप के कारण लोग अपने घरों से बाहर निकल आए। दिल्ली-एनसीआर में आज दिन में करीब 2.53 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए। शुरुआती जानकारी के मुताबिक, भूकंप का केंद्र नेपाल में था। ये झटके करीब 2.53 बजे पर महसूस किए गए। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.2 थी। भूकंप का असर दिल्ली-एनसीआर के अलावा समेत भारत के कई शहरों में महसूस किया गया। 3 अक्टूबर को 6.2. इससे पहले 24 जनवरी 2023 को 5.8 तीव्रता का भूकंप आया था। क्या दिल्ली-एनसीआर में ऊंची इमारतों में रहने वाले लोगों को खतरा ज्यादा है?
मंगलवार दोपहर जब से दिल्ली-एनसीआर के लोगों को भूकंप के तेज झटके महसूस हुए, तब से डर पैदा हो गया है। क्या 24 से 30 मंजिला इमारतों में रहने वाले लोग सुरक्षित हैं? क्या टावर में फ्लैट खरीदकर गलती की गई? तेज भूकंप आया तो क्या ढह जाएगी इमारत? 3 अक्टूबर की दोपहर करीब 3 बजे आए भूकंप का केंद्र नेपाल का बझांग जिला था। बताया जा रहा है कि 30 मिनट के दौरान कुल सात झटके आए। कम तीव्रता के पांच झटके आए। अधिक तीव्रता के झटकों के बाद अक्सर छोटे झटके महसूस होते हैं। मूल गहराई 11 किमी थी और तीव्रता 6.2 मापी गई थी। दिल्ली-नोएडा में उस वक्त कुर्सियों पर बैठकर काम कर रहे लोगों के पैर कांपने लगे। ऐसे में सवाल यह है कि क्या भूकंप के दौरान ऊंची इमारतों को ज्यादा खतरा होता है?
कल भूकंप के कारण लोग डर के मारे सड़कों पर निकल आये. काफी देर तक अफरा-तफरी मची रही। दिल्ली-एनसीआर में अक्सर भूकंप आते रहते हैं। ऐसा होने पर कहा जाता है कि इलाके में बड़े भूकंप का खतरा है. ऐसे में बहुमंजिला टावरों में रहने वाले लोगों को विशेषज्ञों की बातें समझनी चाहिए। जी हां, अपार्टमेंट/ऊंची इमारतों को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि ऊंची इमारत होने का मतलब यह नहीं है कि वह ज्यादा खतरनाक है। आर्किटेक्ट मौलश्री जोशी ने बताया, ‘इमारत की ऊंचाई के कारण उसके गिरने का खतरा नहीं होता है। किसी इमारत की सुरक्षा उसके डिज़ाइन, उसके रखरखाव के तरीके और कई अन्य कारकों पर निर्भर करती है। यहां भूकंपरोधी इमारतें नहीं हैं लेकिन भूकंपरोधी इमारतें बनाई जा सकती हैं।
हां, वैज्ञानिकों का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर में किसी बड़े नुकसान की आशंका नहीं है क्योंकि भूकंप का केंद्र हिमालय की नेपाल-अल्मोड़ा फॉल्ट लाइन में काफी दूर था। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के निदेशक ओपी मिश्रा ने बताया कि सबसे बड़ा भूकंप 6.2 तीव्रता का था। हमारा मानना है कि यह 14-15 किमी की गहराई पर है। यह 2.53 बजे आया। इसके तुरंत बाद 15 किमी की गहराई पर 3.8 तीव्रता का झटका आया। जहां पर आफ्टरशॉक आया वहां 50-60 वर्ग किलोमीटर का सॉफ्ट जोन था। यह एक अच्छा संकेत है।
यह कैसे और क्यों आता है इसे वैज्ञानिक रूप से समझने के लिए हमें पृथ्वी की संरचना को समझना होगा। दरअसल यह पृथ्वी टेक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है। इसके नीचे तरल लावा है। ये प्लेटें लगातार तैरती रहती हैं और कभी-कभी आपस में टकरा भी जाती हैं। बार-बार टकराने से कई बार प्लेटों के कोने मुड़ जाते हैं और ज्यादा दबाव पड़ने पर ये प्लेटें टूटने लगती हैं। ऐसे में नीचे से निकलने वाली ऊर्जा बाहर निकलने का रास्ता ढूंढती है और इस गड़बड़ी के बाद भूकंप आता है।
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