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ED Raid: इन मुख्यमंत्रियों को केंद्रीय एजेंसियों ने किया गिरफ्तार, जानें कैसे चली राज्य की सरकार

• LAST UPDATED : March 21, 2024

India News Delhi (इंडिया न्यूज), ED Raid: दिल्ली एक्साइज पॉलिसी घोटाला मामले में आम आदमी पार्टी के संयोजक और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। प्रवर्तन निदेशालय ED दिल्ली के सीएम केजरीवाल को 3 बार समन भेज चुका है, लेकिन वह जवाब देने के लिए उपस्थित नहीं हुए। केजरीवाल और उनकी पार्टी ED के समन को राजनीतिक साजिश बता रही है। आम आदमी पार्टी के नेताओं ने दावा किया कि ED की टीम सीएम केजरीवाल को उनके घर से गिरफ्तार कर सकती है। हालांकि, सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, ED की ओर से केजरीवाल को गिरफ्तार करने के कोई संकेत नहीं मिले हैं। वहीं, एजेंसी ने छापेमारी की खबर को अफवाह बताया है। वहीं, ED मुख्यमंत्री केजरीवाल को चौथा नोटिस भेजेगा। क्या इसके बाद ही कोई कार्रवाई की जा सकती है?

सीएम की गिरफ्तारी के बाद कैसे चला उनका राज्य

देश की राजनीति में यह पहली बार नहीं है, जब किसी राज्य के मुख्यमंत्री पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही हो। केजरीवाल से पहले भी मुख्यमंत्री गिरफ्त में आ चुके हैं। इनमें से कुछ को सजा मिलने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया तो कुछ को जांच के दौरान ही पकड़ लिया गया। जांच एजेंसियों का शिकंजा कसते ही इनमें से कुछ सीएम ने मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया और अपने किसी विश्वासपात्र को वहां बैठा दिया। इस लिस्ट में लालू प्रसाद यादव से लेकर जयललिता और बीएस येदियुरप्पा तक सभी को अपना पद छोड़ना पड़ा।

हेमन्त सोरेन

झारखंड में बड़ी सियासी हलचल देखने को मिली। 31 जनवरी 2024 को हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और इसके तुरंत बाद केंद्रीय जांच एजेंसी (ED) ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। दोपहर करीब डेढ़ बजे सीएम ऑफिस में ED ने उनसे पूछताछ शुरू की। ED यानी प्रवर्तन निदेशालय ने हेमंत सोरेन को गिरफ्तार करने से पहले 10 नोटिस भेजे थे।

रेवंत रेड्डी

तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के खिलाफ भी मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच की जा रही है। कांग्रेस नेता रेवंत रेड्डी पर आरोप उस समय का है जब वह आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी में हुआ करते थे। रेवंत रेड्डी पर 2015 MLC चुनाव में एक विधायक को अपने पक्ष में वोट करने के लिए कथित तौर पर 50 लाख रुपये की रिश्वत देने का आरोप है।

पिनाराई विजयन

केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन के खिलाफ एक बहुत पुराना मामला है, जब वे बिजली मंत्री हुआ करते थे। यह मामला एक कनाडाई फर्म को पनबिजली परियोजना का ठेका देने में भ्रष्टाचार से जुड़ा है। इस मामले में CBI ने 1995 में चार्जशीट दाखिल की थी – और फिर 2021 में ED ने अपनी जांच शुरू की।

YS जगनमोहन रेड्डी

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी तब से भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं जब केंद्र में यूपीए सरकार सत्ता में थी। तब उन्हें कई महीने जेल में भी बिताने पड़े।

2015 में ED ने जगनमोहन रेड्डी के खिलाफ उनकी कंपनी भारती सीमेंट में वित्तीय अनियमितताओं के लिए मामला भी दर्ज किया था। 2019 में मुख्यमंत्री बनने के बाद भी वह NDA में शामिल नहीं हुए, लेकिन वह लगातार बीजेपी के समर्थन में खड़े नजर आ रहे हैं। कोविड काल में वे बीजेपी की मोदी सरकार के पक्ष में खड़े होकर हेमंत सोरेन से भी भिड़ गये थे।

लालू यादव ने राबड़ी देवी को सौंपी कुर्सी

जब राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव पर चारा घोटाले का शिकंजा कसा गया तो उन्हें सीएम पद छोड़ना पड़ा। 10 मई 1997 को CBI ने राज्यपाल से लालू प्रसाद यादव के खिलाफ मुकदमा चलाने की इजाजत मांगी। 17 जून 1997 को राज्यपाल ने लालू प्रसाद यादव और अन्य पर मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी। 21 जून 1997 को CBI की टीम ने लालू प्रसाद यादव और उनके रिश्तेदारों के घर पर छापेमारी की थी। इसके बाद 23 जून 1997 को सीबीआई ने लालू और 55 अन्य लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया।

जब जयललिता को छोड़नी पड़ी थी सीएम की कुर्सी

तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं जयललिता को आय से अधिक संपत्ति मामले में 2 बार जेल जाने के कारण कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। 2001 में जेल जाने के बाद जयललिता ने पन्नीरसेल्वम को पहली बार मुख्यमंत्री बनाया। हालांकि, बाद में मद्रास हाई कोर्ट ने उन्हें इस मामले में बरी कर दिया और 2002 में उपचुनाव जीतकर वह फिर से मुख्यमंत्री बनीं। इसके बाद 2014 में आय से अधिक संपत्ति के मामले में जयललिता को दोषी पाया गया। कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद जयललिता ने ओ पन्नीरसेल्वम को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त कर दिया।

2015 में पन्नीरसेल्वम ने फिर से जयललिता को सीएम की कुर्सी सौंपी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें फटकार लगाई और उन्होंने पन्नीरसेल्वम को गद्दी सौंप दी।

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