होम / बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए : उपराष्ट्रपति

बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए : उपराष्ट्रपति

• LAST UPDATED : May 1, 2022

आज समाज नेटवर्क,नई दिल्ली।

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने मातृभाषा में शिक्षा के महत्व पर बल देते हुए रविवार को कहा कि बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए। वेंकैया नायडू ने दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के शताब्दी समारोह के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए यह बात कही।

देश की संस्कृति पर ध्यान देने की जरूरत

उपराष्टÑपति ने कहा कि भारतीय शिक्षा प्रणाली को हमारी संस्कृति पर भी ध्यान देना चाहिए। यदि बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा उनकी मातृभाषा में दी जाए तो वे उसे आसानी से समझ सकेंगे। लेकिन, यदि प्रारंभिक शिक्षा किसी अन्य भाषा में दी जाती है, तो पहले उन्हें वह भाषा सीखनी होगी और फिर वे समझेंगे।

मातृभाषा के बाद सीखें दूसरी भाषा

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बच्चों को पहले अपनी मातृभाषा सीखनी चाहिए और फिर दूसरी भाषाएं सीखनी चाहिए। नायडू ने कहा कि सभी को अपनी मातृभाषा में प्रवीण होना चाहिए और उससे संबंधित मूल विचारों का बोध होना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने इस अवसर पर सौ रुपए का एक स्मारक सिक्का, एक स्मारक शताब्दी टिकट और दिल्ली विश्वविद्यालय के अब तक के सफर को प्रदर्शित करने वाली एक स्मारक शताब्दी पुस्तिका भी जारी की।

स्थानीय भाषा का किया जिक्र

वेंकैया नायडू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शनिवार को एक कार्यक्रम में की गई उस टिप्पणी का भी जिक्र किया, जिसमें अदालतों में स्थानीय भाषा के उपयोग को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया था। उन्होंने कहा कि कल प्रधानमंत्री मोदी ने अदालतों में स्थानीय भाषाओं की आवश्यकता के बारे में भी बात की थी। केवल अदालतें ही क्यों, इसे हर जगह लागू किया जाना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने डीयू को 100 साल पूरे करने पर बधाई भी दी।

ये भी पढ़े  : दिल्ली के सिविल लाइंस इलाके में बिल्डर की चाकू से गोदकर हत्या,सीएम आवास से एक किमी दायरे में बड़ी वारदात

हिंदी व संस्कृत संस्करण किया जारी

Elementary Education of Children should be in Mother tongue

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू

नायडू ने कहा कि इस विश्वविद्यालय की उन्नति, विकास और प्रगति के लिए तथा इसे प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक बनाने के लिए सभी लोगों को बधाई देना चाहता हूं। नायडू ने इस अवसर पर स्नातक पाठ्यचर्या की रूपरेखा-2022 (हिंदी संस्करण) और स्नातक पाठ्यचर्या की रूपरेखा-2022 (संस्कृत संस्करण) भी जारी किया। इसके अलावा विश्वविद्यालय द्वारा हासिल की गईं उपलब्धियों को दशार्ने वाली पुस्तिका दिल्ली विश्वविद्यालय की एक झलक भी जारी की गई।

शिक्षा नीति में स्थानीय भाषा को दिया गया महत्व

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देने से छात्रों की रचनात्मकता को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। प्रधान ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्थानीय भाषा के महत्व पर जोर दिया गया है। स्थानीय भाषा छात्रों की रचनात्मकता को दिशा देने में मदद करती है। इस अवसर पर डीयू के कुलपति योगेश सिंह ने कहा कि हमने अकादमिक उत्कृष्टता के 100 साल पूरे कर लिए हैं। डीयू बहुत अच्छा कर रहा है। हम भारतीयों के जीवन में अपना योगदान देना जारी रखेंगे।

ये भी पढ़े  : बिना फिटनेस सर्टिफिकेट वाहन चलाने पर 10 हजार जुर्माना और जेल

Connect With Us : Twitter | Facebook Youtube

 

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

ADVERTISEMENT
mail logo

Subscribe to receive the day's headlines from India News straight in your inbox