India News(इंडिया न्यूज़), Farmers Protest: साल 2024 के दूसरे महीने में ही पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान सड़कों पर उतर आए हैं। पिछले सोमवार को किसान नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के बीच आखिरी दौर की बातचीत बेनतीजा रहने के बाद मंगलवार को 200 से ज्यादा किसान संगठन दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं। केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि किसानों द्वारा उठाए गए ज्यादातर मुद्दों पर सहमति बन गई है और सरकार ने बाकी मुद्दों के समाधान के लिए एक समिति बनाने का प्रस्ताव दिया है। वहीं, किसान नेताओं ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी पर कोई स्पष्टता नहीं है।
किसान आज सुबह 10 बजे से अपना दिल्ली चलो मार्च शुरू करेंगे, लेकिन उन्हें रोकने के लिए हरियाणा सरकार ने राज्य के चारों ओर घेराबंदी कर दी है, ताकि प्रदर्शनकारी पंजाब से हरियाणा में प्रवेश न कर सकें। साथ ही, वर्ष 2021-22 में किसानों के विरोध प्रदर्शन को फिर से शुरू होने से रोकने के प्रयास में दिल्ली की सीमाओं को मजबूत किया गया है।
इसका उत्तर यह है कि वर्ष 2021 में किसानों ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया, जिन्हें दिल्ली की सीमाओं पर उनके एक साल के विरोध के बाद वर्ष 2021 में वापस ले लिया गया। सभी फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी, स्वामीनाथन आयोग के फॉर्मूले को लागू करने, किसानों के लिए पूर्ण ऋण माफी, किसानों और मजदूरों के लिए पेंशन, 2020-21 के विरोध प्रदर्शन के दौरान किसानों के खिलाफ मामलों को 2023 तक वापस लेने की मांग करते हुए दिल्ली चलो की घोषणा की गई थी।
साल 2020 में किसान दिल्ली आने में कामयाब रहे, लेकिन इस बार प्रशासन ने सख्त एहतियाती कदम उठाए हैं। कंटीले तार, सीमेंट के बैरिकेड, सड़कों पर कीलें- दिल्ली की सभी सड़कें बंद कर दी गई हैं। दिल्ली में धारा 144 लागू कर दी गई है। यहां तक कि हरियाणा सरकार ने पंजाब के साथ अपनी सीमाएं भी सील कर दीं।
इस बार सरकार ने किसानों के दिल्ली चलो मार्च से पहले ही बातचीत की प्रक्रिया शुरू कर दी है। किसान नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के बीच पहली बैठक 8 फरवरी को और दूसरी बैठक 12 फरवरी को हुई थी। खबरों की मानें तो सरकार ने अब निरस्त कृषि कानूनों के खिलाफ 2021-22 के आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए किसानों के खिलाफ सभी मामलों को वापस लेने की मांग स्वीकार कर ली है, लेकिन एमएसपी की कोई गारंटी नहीं दी है।
2021 के किसान विरोध प्रदर्शन के दो मुख्य नेता राकेश टिकैत और गुरनाम सिंह चारुनी थे। लेकिन इस बार वे कहीं नजर नहीं आ रहे हैं क्योंकि 4 साल बाद किसान सड़कों पर उतरे हैं। एसकेएम (गैर-राजनीतिक) नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल और महासचिव सरवन सिंह पंढेर अब आगे हैं।
दूसरे किसान विरोध का नेतृत्व विभिन्न यूनियनों द्वारा किया जा रहा है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में किसान यूनियनों का रंग-रूप बड़े पैमाने पर बदल गया है। वहीं, संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने दिल्ली चलो 2.0 का ऐलान किया है। वहीं, किसानों के 2020 विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले भारतीय किसान यूनियन, संयुक्त किसान मोर्चा में भी कई गुटबाजी देखी गई।