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FASTag Wallet Fraud: FASTag वालेट से ठगी का नया तरीका, दिल्ली पुलिस ने 3 को किया गिरफ्तार

• LAST UPDATED : October 13, 2022

FASTag Wallet Fraud: 

नई दिल्ली: दिल्ली में आनलाइन ठगी के गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। ये गिरोह फास्टैग वालेट का इस्तेमाल कर वाहन चालकों को अपना शिकार बना रहा है। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने गिरोह के तीन सदस्यों को भी गिरफ्तार किया है। जिनके पास से एक लैपटाप, एक स्वाइप मशीन, मोबाइल फोन, सिम कार्ड और डेबिट कार्ड समेत कई लग्जरी गाड़ियां बरामद की गई हैं।

ऐसे लगाते थे चूना

दिल्ली पुलिस ने बताया कि गिरोह के सदस्य 5जी सर्विस या क्रेडिट कार्ड एक्टिवेट करने जैसी सेवाएं प्रदान करने के बहाने लोगों को फोन करते थे और अपने फास्टैग वालेट में पैसे ट्रांसफर करने के बहाने उनसे महत्वपूर्ण जानकारियां मांग लेते थे। आरोपितों की पहचान मोहम्मद जाहिद, पवन सिंह और रवि मित्तल के रूप में हुई है।

पेट्रोल पंप से कर रखी थी साठ-गांठ

विशेष पुलिस आयुक्त (क्राइम) रवींद्र सिंह यादव ने बताया कि जांच के दौरान पता चला कि गिरोह के सरगना पवन सिंह के इशारे पर जाहिद फर्जी बैंक खातों को मैनेज करता था। गिरोह का सदस्य रवि की कई पेट्रोल और सीएनजी पंप चालकों से सांठ-गांठ थी। पंप संचालकों की मिलीभगत से कार्ड स्वाइप मशीन का इस्तेमाल कर रवि हरियाणा और चंडीगढ़ में लोगों को फास्टैग वॉलेट से पैसे निकालता था। फिर गिरोह के प्रत्येक सदस्य आपस में पैसों को बंटवारा करते थे।

फास्टैग बनाने का देते थे झांसा

पुलिस ने बताया कि रवि आईडीएफसी बैंक का फास्टैग बनाता था। इसके लिए वह अलग-अलग नंबरों की गाड़ियों का उपयोग करता था। इस गिरोह का शिकार ज्यादातर वह लोग हुए जिन्होंने हाल ही में क्रेडिट कार्ड लिए थे। गिरोह के सदस्य क्रेडिट कार्ड एक्टिवेट करने, लिमिट बढ़ाने या सालाना चार्जेज माफ करने के बहाने से लोगों को फोन करते थे। जैसे ही सामने वाला उनके जाल में फंसता वह उन्हें फास्टैग तैयार करने का झांसा देकर उनके कार्ड नंबर, ओटीपी समेत कई जरूरी जानकारियां धोखे से मांग लेते। इसके बाद आरोपित इन FASTag वालेट में लोगों से पैसे ट्रांसफर करवाते थे।

लूटे पैसों से खरीदी थी लगजरी गाड़ियां

पुलिस ने बताया कि राशि प्राप्त करने और आपस में बंटवारे करने के लिए आरोपितों ने एक चालू खाता भी खोल रखा था। इन पैसों से आरोपितों ने लगजरी गाड़ियां भी खरीद रखी थी। मामले में सबसे पहले जाहिद को गिरफ्तार किया गया। इसके बाद तकनीकी निगरानी और अन्य सूचनाओं के आधार पर पवन और रवि को गिरफ्तार किया।

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