India News(इंडिया न्यूज़) FIDE World Cup 2023: भारत के युवा चेस खिलाड़ी रमेशबाबू प्रगनानंदा का FIDE वर्ल्ड कप जीतने का सपना टूट गया है। उन्हें 5 बार के वर्ल्ड चैंपियन मैग्नस कार्लसन ने फाइनल के टाईब्रेकर में 1.5-0.5 से हराया। प्रगनानंदा अगर यह मुकाबला जीत जाते तो 21 साल बाद कोई भारतीय यह टाइटल जीतता। इससे पहले विश्वनाथन आनंद ने 2002 में इस चैंपियनशिप में जीत हासिल की थी। तब प्रगनानंदा पैदा भी नहीं हुए थे।
20 चालों के बाद प्रग्गनानंद के मुख्य मोहरे के रूप में दो रूक्स, एक नाइट और एक बिशप हैं। कार्लसन के साथ दो रूक्स और दो नाइट हैं।
21वीं बाजी के बाद कार्लसन मजबूत स्थिति में दिख रहे हैं, हालांकि प्रज्ञानंदा अभी भी अपनी रक्षा पर नियंत्रण में हैं। यहां से पहले टाई-ब्रेक का अधिक संभावित परिणाम निकल सकती है। 32वें चाल में प्रज्ञानंदा और कार्लसन दोनों ने अपने रूक्स को गंवाया।
प्रज्ञानंदा को 47 चालों के बाद पहले टाई-ब्रेक में हार का सामना करना पड़ा। विश्व कप फाइनल में कार्लसन के बीच यह कड़ी लड़ाई थी। हालांकि भारतीय ग्रैंडमास्टर से बेहतर साबित हुए। ऐसे में प्रज्ञानंदा के लिए दूसरा टाई-ब्रेक करो या मरो का हो चुका है।
चेस विश्व कप 2023 के दूसरे टाई ब्रेकर में भारत के युवा ग्रैंडमास्टर प्रज्ञानंदा दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी कार्लसन के खिलाफ पिछड़ गए। इस कारण वह सिर्फ 18 साल की उम्र में चैंपियन बनने से चूक गए।
मैग्नस कार्लसन ने प्रज्ञानंदा के खिलाफ दूसरा टाई-ब्रेक ड्रॉ करने के बाद विश्व कप जीता। दोनों के बीच अंतिम स्कोर, कार्लसन-1.5, प्रग्गनानंद- 0.5
पहले टाई-ब्रेकर की समाप्ती के साथ ही विश्व नंबर 1 मैग्नस कार्लसन की शानदार फिनिशिंग से शतरंज विश्व कप फाइनल में प्रगनानंद के खिलाफ 1-0 की बढ़त हासिल कर ली है।
रैपिड फॉर्मेट में दो टाईब्रेक बाजियां खेली जाएंगी। इसमें प्रत्येक खिलाड़ी को 25-25 मिनट का समय मिलेगा। प्रत्येक चाल के बाद खिलाड़ी के समय में 10 सेकंड जुड़ जाएंगे। अगर इन दो बाजियों में नतीजा नहीं निकलता है तो दो और बाजी खेली जाएगी जिसमें प्रत्येक खिलाड़ी के पास 10-10 मिनट का समय होगा और खिलाड़ी की प्रत्येक चाल के बाद उसके समय में 10 सेकंड जुड़ जाएंगे। इसमें भी फैसला नहीं हुआ तो 5-5 मिनट और आखिर में 3-3 मिनट की बाजियां खेली जाएंगीं।
प्रगनानंदा का नाम पहली बार चर्चा में तब आया, जब उन्होंने 7 साल की उम्र में वर्ल्ड यूथ चेस चैंपियनशिप जीत ली। तब उन्हें फेडरेशन इंटरनेशनल डेस एचेक्स (FIDE) मास्टर की उपाधि मिली। वे 12 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर बन गए और सबसे कम उम्र में यह उपाधि हासिल करने वाले भारतीय बने। इस मामले में प्रगनानंदा ने भारत के दिग्गज शतरंज खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद का रिकॉर्ड तोड़ा। इससे पहले, वे 2016 में यंगेस्ट इंटरनेशनल मास्टर बनने का खिताब भी अपने नाम कर चुके हैं। तब वे 10 साल के ही थे। चेस में ग्रैंडमास्टर सबसे ऊंची कैटेगरी वाले खिलाड़ियों को कहा जाता है। इससे नीचे की कैटेगरी इंटरनेशनल मास्टर की होती है।