एम्स के अनुसार पिछले छह माह में अस्पताल में 100 से ज्यादा दलाल पकड़े गए हैं। बीते वुधवार को ही उत्तर प्रदेश के बदायूं की रहने वाली शुभी त्रिवेदी नामक एक युवती पकड़ी गई, जो खुद को जूनियर रेजिडेंट डाक्टर बताकर मरीजों को जल्दी इलाज कराने का झांसा देकर ठगी करती थी। उसने एक मरीज से 96 हजार रुपये ठग लिए थे।

दलाल ऐसे बनाते हैं शिकार

गौरतलब है कि एम्स की ओपीडी में प्रतिदिन तकरीबन 15 मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। जिसकी वजह से मरीजों को एम्स में इलाज के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। ओपीडी से लेकर, जांच व सर्जरी तक के लिए मरीजों को लंबी तारीखें दी जाती है। ऐसे में मरीज जल्दी इलाज के चक्कर में दलालों का शिकार हो जाते हैं। दलाल मरीजों को जल्दी इलाज कराने का झांसा देकर उनसे पैसा वसूल करते हैं। बड़ी संख्या में विभिन्न डायगनोस्टिक लैब के एजेंट भी सक्रिय रहते हैं जो मरीज को सस्ते शुल्क पर जांच कराने का भरोसा देकर निजी लैब में ले जाते हैं। इससे आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के मरीजों को भारी नुकसान का उठाना पड़ता है।

उल्लेखनिय है कि अस्पताल में जगह-जगह पोस्टर चस्पा कर मरीजों को सलाह दी गई है कि वे किसी दलाल के बहकावे में आकर पैसा न दें। एम्स अपनी सेवाओं के लिए अधिकृत काउंटर से बिल जारी करता है। शुल्क हमेशा काउंटर पर ही जमा कराएं। इसके अलावा ओपीडी में सिविल ड्रेस में तैनात सुरक्षा कर्मी दलालों पर नजर रख रहे हैं। ताकि मरीजों से कोई गलत तरीके से पैसा वसूल न करने पाए।

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