India News(इंडिया न्यूज़)G20 Indian Culture: दिल्ली में जी-20 चल रहा है और इसको लेकर बहुत अच्छा इंतजाम भी किया गया है जो मेहमानों को बहुत पसंद भी आ रहा है। जी-20 में 17 भाषाओं में कविताएं शामिल हैं। भारतीय कवि के रूप में रवींद्रनाथ टैगोर की गीतांजलि पुस्तक से 35 नंबर का गीत लिया गया है। बांग्ला, पुर्तगाली, स्पेनिश, अंग्रेजी, फ्रेंच, चीनी, स्लोवेनियाई, जर्मन, जापानी, कोरियाई, रूसी, अरबी, जिट्सोंगा, तुर्की, बहासा इंडोनेशिया, डच और बहासा मेलायु भाषाओं की कविताएं अपनी मूल भाषा और अंग्रेजी अनुवाद के साथ शामिल की गई हैं।
इसमें जिन कवियों की कविताएं शामिल की गई हैं, वे अपने-अपने देश और वहां की साहित्यिक परंपराओं के दिग्गज हैं। जी-20 शिखर सम्मेलन के बीच साहित्य अकादमी ने जी-20 देशों की कविताओं का संग्रह लॉन्च किया है। ‘अंडर द सेम स्काई’ शीर्षक से प्रकाशित इस किताब में जी-20 देशों के समूह के 19 सदस्य और 9 आमंत्रित देशों की कविताएं शामिल किया गया हैं।
जी-20 शिखर सम्मेलन में महामंत्र नवकार का अखंड जाप भी किया गया। इसने अपनी एक पहचानभी बना ली है। बता दे कि यह जाप 11 सितंबर की सुबह सम्पन्न होगा। इसमेें संघ के सभी 51 साधु-साध्वी, संत व श्रावक निरंतर रूप से मंत्र नवकार का जाप कर रहे हैं। भारत मंडपम में संस्कृति मंत्रालय की ओर से संस्कृति गलियारा तैयार किया गया है। इस गलियारे के माध्यम से जी-20 डिजिटल संग्रहालय की कल्पना की गई है। इस संस्कृति गलियारे में सभी जी-20 सदस्य देशों और नौ आमंत्रित देशों की सांस्कृतिक वस्तुओं को प्रदर्शित किया जाएगा। इस गलियारे में अमेरिका से ‘चार्टर्स ऑफ फ्रीडम’ की सत्यापित मूल प्रतियां, चीन से एक फहुआ ढक्कन वाला जार और भारत से पाणिनि की अष्टाध्यायी समेत अन्य कलाकृतियां प्रदर्शित किया जाएगा।
जी-20 सम्मेलन में शामिल होने वाले राष्ट्राध्यक्षों को संस्कृति गलियारे में ऋग्वेद की पांडुलिपियां, ब्रिटेन से मैग्नाकार्टा की दुर्लभ प्रति और फ्रांस से मोनालिसा की एक डिजिटल छवि भी देखने को मिल सकती है। इस गलियारे में अमेरिका से ‘चार्टर्स ऑफ फ्रीडम’ की सत्यापित मूल प्रतियां, चीन से एक फहुआ ढक्कन वाला जार और भारत से पाणिनि की अष्टाध्यायी समेत अन्य कलाकृतियां प्रदर्शित की जाएंगी। भारत मंडपम में संस्कृति मंत्रालय की ओर से संस्कृति गलियारा तैयार किया गया है।
दरअसल इस गलियारे के माध्यम से जी-20 डिजिटल संग्रहालय की कल्पना की गई है। भौतिक और डिजिटल परियोजना का अनावरण नौ सितंबर को शिखर सम्मेलन के उद्घाटन मौके पर होगा। भारत की अध्यक्षता में आयोजित जी 20 की थीम ‘वसुधैव कुटुंबकम’ है। इसी के तहत दुनिया एक परिवार है, का संदेश दिया जाएगा। इसीलिए इस संस्कृति गलियारे में सभी जी-20 सदस्य देशों और नौ आमंत्रित देशों की सांस्कृतिक वस्तुओं को प्रदर्शित किया जाएगा। कलाकृतियों की प्रदर्शनी भौतिक और डिजिटल प्रारूप में नेताओं की बैठक वाली मंजिल पर होगी। आते-जाते सभी विदेशी प्रतिनिधि इसी ‘सांस्कृतिक गलियारे’ से होकर गुजरेंगे।
जी-20 सम्मेलन के लिए नई दिल्ली के जामा मस्जिद कोे भी सजाया गया है। इसके आसपास तिरंगा फूलों और चमकदार छतरियों से सजाया गया है। जी-20 शिखर सम्मेलन में आ रहेे कई मेहमानों के जामा मस्जिद आने की संभावना है। सुरक्षाकर्मी भी तैनात किए गए है।
जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए दिल्ली के सड़कों को पेड़ों को गेंदे की फूल मालाओं से सजाया गया है। इन्हें वायु सेना स्टेशन, पालम से एसपी मार्ग और राजघाट तक की सड़कों पर स्थित यह पेड़ पर लगाया है। उपराज्यपाल वीके सक्सेना के निर्देश पर इन्हें लगाया गया है। बता दे कि सड़कों पर लगभग 400 पेड़ों को दो रंगों के गेंदे के फूलों की माला से सजाया है।
उत्तर प्रदेश पवेलियन में विदेशी मेहमानों को अयोध्या नगरी में ‘भगवान श्रीराम’ के साथ मुरादाबाद की नक्काशी से रूबरू कराया जाएगा। यहां पर भगवान श्रीराम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की बेहद ही खूबसूरत झांकी देखने को मिलेगी। यहां दो किलो वजन का आठ ईंच नक्काशी वाला पीतल का मटका एक लाख रुपये की कीमत का है। यहां पर विदेशी मेहमानों को नक्काशी वाले बर्तन खरीदने का मौका मिलेगा, जिसकी कीमत 50 हजार से एक लाख रुपये तक हैं।
पंजाब पवेलियन में विदेशी मेहमानों को विश्व प्रसिद्ध फुलकारी को बनाने की कला से लाइव रूबरू किया जा रहा है। सात साल की उम्र से सूती और रेशम के कपड़ें पर रेशम के धागे से फुलकारी बनाती लाजवंती कहती हैं कि जी 20 के इस मंच पर उन्हें अपने हुनर को प्रदर्शित करने का मौका मिल रहा है।
देवभूमि और पहाड़ी राज्य उत्तराखंड विदेशी मेहमान भगवान केदारनाथ-बद्रीनाथ के दर्शन करने का मौका मिलेगा। इसके अलावा पहाड़ी मसालों से तैयार चाय भी खास है। सर्दी, जुकाम, बुखार में इस चाय का एक कप राहत देने वाला होता है। इसके अलावा उन्हें पहाड़ी दुल्हन के रूप में कुमाऊंनी दुल्हन देखने को मिलेगी। पारंपरिक वेशभूषा में तैयार कुमाऊंनी दुल्हन उत्तराखंड की पहाड़ी संस्कृति, कला को खूबसूरती से पेश किया जा रहा है।