G-20 समिट के लिए केंद्र सरकार ने लेफ्ट हैंड ड्राइव कारें मंगाई हैं। ये गाड़ियां बुलेट-प्रूफ होंगी और इनका इस्तेमाल विदेशी मेहमानों को लाने-ले जाने के लिए किया जाएगा। सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) के 450 जवानों को इन कारों को चलाने की ट्रेनिंग दी गई है। केंद्र सरकार ने 41 विदेशी मेहमानों के लिए 60 से ज्यादा लेफ्ट हैंड ड्राइव कारें खरीदी या किराए पर ली हैं। इनमें ऑडी, मर्सिडीज और BMW जैसी लग्जरी गाड़ियां शामिल हैं। भारत में राइट हैंड ड्राइव गाड़ियां चलाने का प्रोटोकॉल है। इनमें स्टीयरिंग गाड़ी के राइट साइड में होता है। अमेरिका समेत कई देशों में लेफ्ट हैंड ड्राइव गाड़ियां चलाई जाती हैं। इनमें स्टीयरिंग गाड़ी के लेफ्ट साइड में होता है।
वन एवं पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि वन विभाग द्वारा दिल्ली के धौलाकुआं से मेहराम नगर, आगे एयरपोर्ट का टेक्निकल एरिया, थीमाया सड़क, परेड सड़क, भैरों मार्ग, दिल्ली गेट, राजघाट, आईटीओ से भैरों मार्ग पर गमले लगाए गए हैं। एनडीएमसी व पीडब्ल्यूडी भवन और दिल्ली हाट को सजाया है। वन विभाग फूल वाले पौधे भी लगा रहा। इसमें मेरीगोल्ड, जाफरी, विंका, इक्सोरा, मउसानदा, कुल्फ़ा, पोर्टुलका, टेकोमा, चांदनी, हिबिसकस, जास्मिन शामिल हैं। इनके अलावा पत्तेदार पौधे ऐरेका पाम, रफीस पाम, फायकस पांडा, फायकस बेंजमिना, टपिओका, सांग ऑफ इंडिया, कोचीए, मौलश्री, फन पाम, सिंगोनियम लगाए गए हैं।
सम्मेलन स्थल पर 1600 किलोवॉट के ट्रांसफॉर्मर लगाया गया है। बिजली आपूर्ति करने वाली दोनों कंपनियों ने क्विक रिस्पांस टीम का गठन किया है। इसको लेकर हौज-खास का इलाके की महरौली-छतरपुर से एम्स या नई दिल्ली की तरफ जाती सड़क को काफी सजाया संवारा गया है। इसको लेकर सड़क किनारे फुटपाथ को भी सुन्दर बनाया गया है। पैदल चलने से लेकर यहां बैठने की जगह एवं सुन्दर-सुन्दर रंग बिरंगी क्लाकृतियां बनाई गई हैं। साथ ही फूल पौधे एवं हरियाली का विशेष ख्याल रखा गया है। साथ ही सड़कों पर साफ-सफाई का भी खास ख्याल रखा गया है। ऐसे में इस दौरान सड़कों पर कहीं गन्दगी नहीं दिखाई देगी। इसके साथ ही सड़कों पर बने डिवाइडर के बीच में भी फूल-पौधे लगाए गए हैं, ताकि सड़कों पर चलते समय आपको हरियाली ही हरियाली नजर आए। रात के लिए भी यहां जगह-जगह खूबसूरत लाइटें भी लगाई गई हैं।
बता दे कि भारत मंडपम के गेट के बिल्कुल सामने भगवान शिव के नटराज स्वरूप मूर्ति मंगलवार को लगाई गई है। इसे स्थापित करने के लिए तमिलनाडु से ही शिल्पकार आए थे। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने 20 फरवरी को इसके निर्माण का ऑर्डर दिया था। इस 15,500 किलो वजन की मूर्ति को छह फीट के आसन पर स्थापित किया गया है। तमिलनाडु से दिल्ली तक करीब 2500 किलोमीटर का सफर साढ़े चार दिनों में तय कर इसे दिल्ली में 29 अगस्त को लाया गया था। इसके लिए विभिन्न राज्यों में ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया था।
जी-20 सम्मेलन में शामिल होने वाले विदेशी मेहमानों को फाइव स्टार होटलों में राजस्थानी शैली और चांदी की परत से तैयार किए गए बर्तनों में खाना खाएंगे। फल रखने वाली टोकरी में मोर का डिजाइन मिलेगा। वहीं, महाराजा थाली में अशोक चिह्न बनाया गया है। नाश्ते से लेकर रात्रि भोजन तक के लिए अलग–अलग तरह के बर्तन तैयार किया गया हैं।
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