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Gudi Padwa 2024: क्यों और कैसे मनाया जाता है गुड़ी पड़वा? जानें इसका महत्व

• LAST UPDATED : April 9, 2024

India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Gudi Padwa 2024: आज हिंदू नववर्ष है और गुड़ी पड़वा का त्योहार भी इसी दिन मनाया जाता है। यह त्यौहार मुख्य रूप से महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में मनाया जाता है। महाराष्ट्र में इसे गुड़ी पड़वा और दक्षिण भारत में उगादि के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन गुड़ी लोग अपने घरों में गुड़ी को विजय ध्वज के रूप में सजाते हैं। आइए जानते हैं गुड़ी पड़वा का महत्व और इसे सजाने का तरीका।

गुड़ी पड़वा का महत्व

ये त्यौहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है और माना जाता है कि इस दिन किसान नई फसलें उगाते हैं। साथ ही घर में गुड़ी रखने से नकारात्मकता दूर होती है। गुड़ी पड़वा को विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है और इसलिए गुड़ी को विजय ध्वज के रूप में घर में रखा जाता है।

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 पूजा विधि

गुड़ी पड़वा के दिन घर में गुड़ी स्थापित की जाती है और विजय के प्रतीक के रूप में उसकी पूजा की जाती है। माना जाता है कि ऐसा करने से घर से नकारात्मकता दूर होती है और घर में सुख, शांति आती है। यह त्यौहार कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश में मनाया जाता है। गुड़ी पड़वा का दिन स्वास्थ्य की दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन श्री खंड, पूरनपोली, खीर आदि विशेष व्यंजन बनाये जाते हैं।

गुड़ी पड़वा पर लोग अपने घरों को साफ करते हैं, मुख्य द्वार पर रंगोली बनाते हैं और आम या अशोक के पत्तों से अपने घर में उत्सव मनाते हैं। घर के सामने एक झंडा लगाया जाता है और इसके अलावा एक बर्तन पर स्वस्तिक बनाकर उसके चारों ओर रेशम का कपड़ा लपेट कर रखा जाता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा के साथ-साथ सुंदरकांड, राम रक्षा स्त्रोत और देवी भगवती की पूजा की जाती है। नीम की कोपलों को गुड़ के साथ खाया जाता है।

गुड़ियों को सजाने की विधि

गुड़ी पड़वा के दिन गुड़ी को सजाने की विशेष परंपरा है। लेकिन गुड़ी सजाने से पहले घर की साफ-सफाई करें और मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं। इसे शुभ माना जाता है। इसके बाद मुख्य द्वार पर अशोक के पत्तों से बना एक तोरण स्थापित किया जाता है। फिर गुड़ी को सजाने की तैयारी की जाती है। इसके लिए सबसे पहले एक बांस की छड़ी ली जाती है, उस पर चांदी, तांबे या पीतल का बर्तन उल्टा रखा जाता है। कमल पर स्वस्तिक बनाया जाता है और फिर उसे साड़ी, फूलों की माला, आम के पत्तों और नीम के पत्तों से सजाया जाता है।

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