इंडिया न्यूज, गुरुग्राम। जिले में वर्ष 2050 तक नेट जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक्शन प्लान बनाई जाएगी। यह कार्य गुुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण (जीएमडीए) द्वारा मार्च-2023 तक किया जाएगा, जिसमें द सेलेशियल अर्थ और शक्ति सस्टेनेबल एनर्जी फाउंडेशन तकनीकी सहयोग देंगे। यह घोषणा सोमवार को गुरुग्राम में वर्ष 2050 तक नेट जीरो गुरुग्राम के लिए क्लाइमेट एक्शन प्लान पर आयोजित सिटी लेवल वर्कशॉप में की गई।
इस वर्कशाप में हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन पी. राघवेंद्र ने अपने संबोधन में कहा कि पर्यावरण संबंधी चुनौतियों को समझने से पहले हमें अपने लाइफ स्टाइल तथा पर्यावरण में आपस में क्या संबंध है, इसे समझने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि धरती पर केवल मनुष्यों का ही हक नहीं है, अन्य जीव जंतुओं का भी बराबर का अधिकार है। जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कार्बन उत्सर्जन के स्तर को कम करने या जीरो करने के लिए हर व्यक्ति को अपने तरीके से योगदान देना होगा। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण हम सभी की सामुहिक जिम्मेदारी है।
हमें क्लीन एंड ग्रीन लाइफ स्टाइल अपनाना चाहिए। उन्होंने पौधारोपण के महत्व के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि हम सांस लेते हैं तो कार्बन डाईआॅक्साइड छोड़ते हैं और पेड़-पौधे कार्बन डाईआॅक्साइड को सोखकर अपना भोजन बनाते हैं, परिणामस्वरूप उन पर फल व फूल लगते हैं। श्री राव ने यह भी कहा कि फोसिल फ्यूल अर्थात जीवाश्म ईंधन का प्रयोग कम करते हुए अक्षय उर्जा का प्रयोग बढ़ाएं, जोकि प्रकृति में कार्बन उत्सर्जन कम करने में सहायक होगा। इसी प्रकार जमीन में भूजल स्तर लगातार नीचे जाता जा रहा है और पानी की प्रति व्यक्ति खपत बढ़ गई है। इसलिए अब हमें सिवरेज के ट्रीटेड पानी का पुन: उपयोग करने के बारे में सोचना जरूरी है।
ऐसे उपायों को अपनाकर ही हम भावी पीढ़ियों के लिए बेहतर और सुरक्षित विश्व छोड़ पाएंगे। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण जरूरी है तभी हम प्रदूषण को नियंत्रित कर पाएंगे। श्री राव ने विभिन्न उदाहरण देते हुए पर्यावरण संरक्षण को लेकर आ रही भविष्य की चुनौतियों के बारे में चर्चा की।
पी. राघवेंद्र ने कहा कि क्लामेट चेंज हमें प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष दो प्रकार से प्रभावित करता है। प्रत्यक्ष रूप से जैसे तापमान में बढ़ोतरी होना या एक ही दिन में अत्यधिक बरसात का होना और अप्रत्यक्ष प्रभाव में बीमारियों का प्रकोप होना आदि शामिल है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए अभी से आवश्यक इंतजाम किए जाने आवश्यक है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए ही विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाना शुरू किया गया, ताकि लोगों को इन चुनौतियों के प्रति सचेत किया जा सके। वर्ष 1972 में स्टॉकहोम नामक स्थान पर पर्यावरण विषय पर गोष्ठी आयोजित की गई। इसके बाद वर्ष-1974 में यूएसए में पहली बार विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया।
जीएमडीए से एडिश्नल सीईओ सुभाष यादव ने कहा कि कार्बन फुटप्रिंट जीरो करने के लिए जीएमडीए द्वारा कार्य योजना तैयार की जा रही है, जिसमें दोनों एजेंसियों द्वारा सहयोग किया जाएगा। ये दोनों संस्थाएं गुरुग्राम में कार्बन उत्सर्जन का अध्ययन करके उसे नगण्य करने के उपायों के सुझाव देते हुए रिपोर्ट देंगी। यादव ने जीएमडीए द्वारा पर्यावरण सुधार की दिशा में किए जा रहे कार्यों का उल्लेख करते हुए बताया कि जीएमडीए की अधीन आने वाले क्षेत्र में वर्ष-2041 तक की अनुमानत जनसंख्या और पर्यावरण की संभावित स्थिति को ध्यान में रखते हुए एन्वायमेंट प्लान तैयार किया जा रहा है, जबकि संपूर्ण गुरुग्राम जिला के लिए डिस्ट्रिक्ट एन्वायरमेंट प्लान तैयार कर लिया गया है।
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