इंडिया न्यूज, नई दिल्ली : पटियाला हाउस की एनआइए कोर्ट में कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक की सजा को लेकर सुनवाई पूरी हो गई है। अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। अदालत थोड़ी देर में अपना फैसला सुनाएगी। इससे पहले एनआइए के विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह की अदालत में सजा पर जिरह हुई। एनआइए ने यासीन मलिक को फांसी की सजा दिए जाने की मांग की है।
मामले की सुनवाई के दौरान मीडिया कर्मियों को कोर्ट रूम में जाने की इजाजत नहीं मिली। वहीं, सुरक्षा को लेकर अदालत के बाहर कड़े इंतजाम किए गए हैं। इससे पहले विशेष अदालत ने 19 मई को मलिक को दोषी करार दिया था। अदालत ने एनआइए अधिकारियों को जुमार्ना की राशि निर्धारित करने के लिए मलिक की वित्तीय स्थिति का आकलन करने का निर्देश दिया था। इसके साथ ही मलिक को अपनी संपत्ति को लेकर हलफनामा दाखिल करने को कहा गया था।
टेरर फंडिंग मामले में 10 मई को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के सभी आरोपों को मलिक ने स्वीकार कर लिया था। मलिक ने अदालत को बताया था कि वह उस पर लगाए गए आरोपों का सामना नहीं करना चाहता है। मलिक को आतंकी कृत्य के लिए धन जुटाने, साजिश रचने, आतंकवादी संगठन का सदस्य होने, देश के खिलाफ युद्धोन्माद फैलाने और राजद्रोह सहित अन्य अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है।
कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को दिल्ली की एक अदालत द्वारा जम्मू एवं कश्मीर में आतंकी फंडिंग से संबंधित मामले में दोषी ठहराए जाने पर पाकिस्तान तिलमिला उठा है। पाकिस्तान ने इस मामले में भारत के प्रभारी राजदूत को विदेश मंत्रालय में तलब कर मलिक के खिलाफ तय किए गए आरोपों पर विरोध जताया। पाकिस्तान की हरकत से लग रहा है कि यासीन मलिक को लेकर उसे कितनी मिर्ची लगी है। गौरतलब है कि यासीन द्वारा अपने खिलाफ लगाए गए सभी आरोप स्वीकार करने के बाद कोर्ट ने उसे दोषी ठहराया है। हुर्रियत नेता और प्रतिबंधित संगठन जम्मू एवं कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख को 2017 के आतंकी फंडिंग मामले में अदालत ने गुरुवार को दोषी ठहराया था। वर्तमान में वह दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है। अब देखा जाना है कि अदालत क्या फैसला सुनाती है।
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