India News(इंडिया न्यूज़) Heat Wave Plan: राजधानी दिल्ली में भीषण गर्मी को देखते हुए डीडीएमए ने हीट एक्शन प्लान तैयार किया है। इस भीषण गर्मी के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट की योजना बनाया गया है। इस योजना के दौरान छतों को सफेद रंग से रंगने में मदद मिलेगी और घर के अंदर कूलर रखने की सलाह दिया गया है। बता दे कि दिल्ली के शिक्षा विभाग ने ऐलान किया है कि स्कूल को दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे शुरू न किया जाए। इसी के दौरान यह भी बता दे कि दिल्ली के कई इलाकों में पानी की व्यवस्था भी किया जाएगा, तो वहीं बिजली पर भी काम किया जाएगा।
706 हीट वेव घटनाएं दर्ज
डीडीएमए के एक अधिकारी ने बताया कि हीट एक्शन प्लान पर काम अभी बाकी है। उन्होंने बताया कि दिल्ली दुनिया का सबसे गर्म शहरों में से एक माना जाता है। भारत में 1971-2019 तक 706 हीट वेव की घटनाएं दर्ज किया जा चुका है। पूर्व पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम राजीवन, कमलजीत रे, एसएस रे, आर के गीरी और एपी डिमरी वैज्ञानिक ने बताया कि दिल्ली में अब तक हीट वेव के कारण 17 हजार से ज्यादा की जान अब तक जा चुकी है। बता दे कि भीषण गर्मी के कारण तैनात किए गए नोडल अधिकारी इसके कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार माना जाएगा।
दिल्ली के कई इलाकों में अलर्ट जारी
बता दे कि दिल्ली में इस साल पहले से 30 गुना ज्यादा गर्मी दर्ज किया जा चुका है। दिल्ली में भीषण गर्मी के कारण कई इलाकों में रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है। बता दे कि अगर तापमान 6 डिग्री सेल्सियस तक हुआ तो उस इलाके में ऑरेंज अलर्ट जारी कर दिया जाएगा। वहीं अगर तापमान 4 से 5 तक रहा तो दिल्ली में येलो अलर्ट जारी कर दिया जाएगा। आधिकारिक के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में खपत के लिए लगभग 1,300 एमजीडी पानी की जरूरत है। लेकिन, दिल्ली जल बोर्ड केवल 1 हजार के आसपास ही आपूर्ति कर सकता है। जिससे कई इलाके पानी की कमी को झेल रहे हैं। ऐसे में निर्माण स्थलों, बस स्टॉप और अन्य जगहों पर ओआरएस की व्यवस्था की जाएगी और पानी के टैंकर से पानी पहुंचा जाएगा। बता दे कि तीसरा चरण जुलाई-सितंबर से लागू कर दिया जाएगा।
तीन चरणों में हीट वेव प्लान लागू
हीट वेव योजना तीन चरणों में लागू की जाएगी। इसमें चरण 1 में फरवरी और मार्च में लागू होगा। इसमें चेतावनी प्रणाली और अलर्ट जारी करने के लिए एक संचार योजना लागू होगी। जिसमें स्वास्थ्यकर्मी और स्वैच्छिक समूह शामिल होंगे। इनके लिए प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। दूसरे चरण में कोल्ड केंद्रों का निर्माण किया जाएगा। इसमें मंदिरों, सार्वजनिक इमारतों, मॉल और अस्थायी रैन बसेरों को सक्रिय किया जाएगा। वहीं, बाहरी श्रमिकों, स्लम समुदायों और अन्य कमजोर लोगों में पानी की कमी न हो इसके लिए पर्याप्त रूप से पानी की व्यवस्था किया जाएगी।